गुप्त वंश ने मंदिरों और ब्राह्मणों को गांवों का सबसे बड़ा अनुदान दिया। गुप्त काल के दौरान ब्राह्मणों को भूमि दान करने की प्रथा आम थी। यह भारत में सांस्कृतिक और बौद्धिक समृद्धि का समय था। गुप्त काल में भूमि अनुदान के तीन प्रकार थे:
भूमि का उपयोग आमतौर पर खेती या अन्य कृषि कार्यों के लिए किया जाता था। भूमि से उत्पन्न आय ब्राह्मणों और उनके परिवारों के समर्थन के लिए उपयोग की जाती थी। गांवों से मिलने वाले कर ब्राह्मण प्राप्तकर्ताओं को सौंपे जाते थे जिन्हें दान की गई भूमि की खेती कराने का अधिकार भी दिया जाता था।
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