राजराजा और राजेंद्र I सबसे महत्वपूर्ण चोल शासक थे। राजेंद्र I के शासनकाल की एक उल्लेखनीय उपलब्धि कलिंग से बंगाल तक की यात्रा थी, जिसमें चोल सेनाओं ने गंगा नदी पार की और दो स्थानीय राजाओं को हराया। इस अभियान का नेतृत्व एक चोल सेनापति ने किया और यह 1022 ईस्वी में हुआ। यह अभियान उसी मार्ग का उल्टा अनुसरण था, जिसे महान विजेता समुद्रगुप्त ने अपनाया था। इस अवसर को यादगार बनाने के लिए राजेंद्र I ने 'गंगाईकोंडा चोल' की उपाधि धारण की, जिसका अर्थ है गंगा को जीतने वाला चोल। उन्होंने कृष्णा नदी के मुहाने के पास एक नई राजधानी भी बनाई और इसे गंगाईकोंडा चोलपुरम नाम दिया।
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