तेनाली रामकृष्ण ने 'पांडुरंग महात्म्य' लिखा, जो तेलुगु साहित्य के पंच महाकाव्यों में से एक है। यह पुस्तक पंढरपुर में स्थित भगवान विष्णु के पांडुरंग रूप के मंदिर की पौराणिक कथा का वर्णन करती है, जिसे संत पांडुरंग के उपदेशों से प्रतिष्ठित किया गया था। वे विजयनगर सम्राट कृष्णदेवराय के दरबार के अष्टदिग्गजों में से एक थे।
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