अमीर खुसरो सूफी संत और निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। वे कवि होने के साथ-साथ कुशल संगीतकार भी थे। उन्हें "कव्वाली का जनक" माना जाता है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया और इसमें फारसी व अरबी तत्व जोड़े। खयाल और तराना शैलियों की शुरुआत का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। बाद में, खयाल शैली मोहम्मद शाह रंगीले के समय अपने चरम पर पहुंची और आज यह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का अभिन्न हिस्सा है।
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