मार्च 1931 में कांग्रेस ने गांधी-इरविन या दिल्ली समझौते को अनुमोदित करने के लिए कराची में अधिवेशन किया। इसका अध्यक्षता सरदार पटेल ने की थी। यह अधिवेशन मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रमों पर पारित प्रस्ताव के कारण यादगार बना। इसने स्वराज की रूपरेखा तय की, जो उस समय राष्ट्रीय आंदोलन में प्रभावी वामपंथी विचारधारा को दर्शाती थी। इस प्रस्ताव का मसौदा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तैयार किया था।
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