'नील दर्पण' 1858-1859 में दीनबंधु मित्रा द्वारा लिखा गया एक बंगाली नाटक था। यह नाटक फरवरी-मार्च 1859 में बंगाल में हुए नील विद्रोह से जुड़ा था, जब किसानों ने ब्रिटिश शासन के शोषणकारी कृषि व्यवस्था के खिलाफ विरोध स्वरूप अपने खेतों में नील की बुवाई से इनकार कर दिया था।
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