जरेवा और सादवज्र सारंगा लोक पत्थर संगीत के रूप हैं। इन लोक गीतों के अलावा, ग़ज़ल और ठुमरी (एक अर्ध-शास्त्रीय संगीत शैली, जो कभी केवल शाही दरबारों तक सीमित थी) अवध क्षेत्र में काफी लोकप्रिय रही हैं। इसी कारण कव्वाली (एक सूफी काव्य शैली, जो भजनों से विकसित हुई) और मर्सिया भी यहां प्रचलित हैं। ये दोनों उत्तर प्रदेश के लोक संगीत पर गहरा प्रभाव दर्शाते हैं।
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