1959 में सोवियत अंतरिक्ष यान लूना 3 (ई-3 श्रृंखला) चंद्रमा के पास भेजा गया तीसरा अंतरिक्ष यान था। यह मिशन बाहरी अंतरिक्ष की खोज में एक शुरुआती उपलब्धि थी। भले ही इसकी तस्वीरें बाद के मानकों की तुलना में कम गुणवत्ता की थीं, लेकिन चंद्रमा के पिछले हिस्से की ऐतिहासिक और पहले कभी न देखी गई छवियों ने दुनियाभर में उत्साह और रुचि पैदा की। जब इमेज प्रोसेसिंग से तस्वीरों की गुणवत्ता सुधारी गई तो चंद्रमा के पिछले हिस्से का एक अस्थायी एटलस बनाया गया। इन छवियों में पहाड़ी भूभाग दिखा, जो सामने के हिस्से से बहुत अलग था। केवल दो गहरे और नीचले क्षेत्र दिखे, जिन्हें मारे मोस्कोविएन्स (मास्को सागर) और मारे डेसिडेरी (इच्छा सागर) नाम दिया गया। बाद में पता चला कि मारे डेसिडेरी एक छोटे सागर मारे इंगेनी (सृजनशीलता सागर) और कुछ अन्य गहरे गड्ढों से मिलकर बना है।
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