भारत सरकार ने 1975 में मध्य प्रदेश कला परिषद के सहयोग से इस महोत्सव की शुरुआत की थी। यह पारंपरिक भारतीय नृत्य शैलियों का उत्सव है। प्राचीन भारतीय नृत्य मंदिरों से उत्पन्न हुए हैं। खजुराहो के भव्य मंदिरों का नृत्य से गहरा संबंध है क्योंकि यहां की सुंदर मूर्तियों में यह कला अनंत रूप में बसी हुई है। इसी कारण खजुराहो के मंदिर इस कला के लिए अद्भुत पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं। यह भारत के सबसे आकर्षक मंदिर स्थलों में से एक है और शास्त्रीय नृत्य शैलियों से इसका गहरा नाता है। ये ऐतिहासिक मंदिर 10वीं से 12वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान राजपूत चंदेल वंश के शासनकाल के हैं।
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