अकबर के पुत्र जहांगीर ने 1605 ईस्वी में मुगल सिंहासन संभाला और "नूर-उद-दीन जहांगीर पादशाह गाजी" की उपाधि अपनाई। "पादशाह गाजी" एक सम्मानजनक उपाधि है, जिसका अर्थ "धर्म का रक्षक" होता है और इसे पारंपरिक रूप से मुस्लिम शासकों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था। आगरा से शासन करने वाले जहांगीर अपने न्याय, प्रशासनिक सुधारों और कला संरक्षकता के लिए प्रसिद्ध थे।
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