कुट्टु वरिसाई का पहला उल्लेख संगम साहित्य (ईसा पूर्व 1वीं या 2वीं शताब्दी) में मिलता है। इसका अर्थ 'निर्मुक्त हाथों से युद्ध' होता है। यह मुख्य रूप से तमिलनाडु में प्रचलित है, लेकिन श्रीलंका और मलेशिया के उत्तर-पूर्वी भागों में भी लोकप्रिय है। कुट्टु वरिसाई, जिसे काई सिलंबम भी कहा जाता है, सिलंबम का बिना हथियारों वाला भाग है। 'कुट्टु' का अर्थ प्रहार करना होता है और 'वरिसाई' का अर्थ क्रम या अनुक्रम होता है।
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