कलमकारी पेंटिंग की उत्पत्ति 3000 ईसा पूर्व की मानी जाती है। यह हाथ से बनाई या ब्लॉक-प्रिंटेड सूती कपड़े की एक कला है जो भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में बनाई जाती है। इसमें केवल प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है और इसे बनाने की प्रक्रिया में 23 चरण होते हैं। 'कलमकारी' शब्द फारसी के 'कलम' जिसका अर्थ "कलम" है और 'कारी' जिसका अर्थ "कला" है, से बना है। मुगलों ने इस कला को बढ़ावा दिया जिससे यह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के विभिन्न क्षेत्रों में लोकप्रिय हुई।
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