प्रसिद्ध हिंदी कथाकार और निबंधकार कृष्णा सोबती (94) का 25 जनवरी 2019 को नई दिल्ली में निधन हो गया। उन्हें 1980 में अपने उपन्यास 'ज़िंदगीनामा' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था और 2017 में भारतीय साहित्य में योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सोबती अपनी 1966 की रचना 'मित्रो मरजानी' के लिए जानी जाती हैं, जिसमें एक विवाहित महिला की कामुकता को बेझिझक प्रस्तुत किया गया है। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं: 'द़ार से बिछुड़ी', 'सूरजमुखी अँधेरे के', 'यारों के यार', 'ज़िंदगीनामा'। उनकी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ हैं: 'नफीसा', 'सिक्का बदल गया', 'बादलों के घेरे'।
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