18 मई 1882 को लॉर्ड रिपन के प्रस्ताव को सरकार का मैग्ना कार्टा कहा जाता है, जिससे उन्हें भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक माना गया। इस प्रस्ताव ने स्थानीय सरकार के दो प्रमुख पहलुओं को मान्यता दी: (i) प्रशासनिक दक्षता और (ii) राजनीतिक शिक्षा। यह प्रस्ताव, जो नगरों पर केंद्रित था, स्थानीय निकायों में बड़ी संख्या में निर्वाचित गैर-आधिकारिक सदस्यों को शामिल करने और एक गैर-आधिकारिक अध्यक्ष द्वारा नेतृत्व किए जाने का प्रावधान करता था।
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