अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में सैन्य विभाग को "दीवान-ए-अर्ज" कहा जाता था और इसका प्रमुख आरिज-ए-मुमालिक होता था। वह शाही सेना के संगठन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था। सेना की समीक्षा और घोड़ों की पहचान के लिए निशान लगाने का कार्य भी वही करता था।
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