धार्मिक परंपराओं के आधार पर क्षेत्रीय संस्कृतियों का विकास हुआ। इसका सबसे अच्छा उदाहरण ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ संप्रदाय है। 'जगन्नाथ' का अर्थ है 'संसार के भगवान', जो विष्णु का एक नाम है। आज भी स्थानीय आदिवासी लोग इस देवता की लकड़ी की मूर्ति बनाते हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह देवता मूल रूप से एक स्थानीय भगवान थे, जिन्हें बाद में विष्णु के रूप में पहचाना गया। 12वीं शताब्दी में गंगा वंश के एक प्रमुख शासक अनंतवर्मन ने पुरी में पुरुषोत्तम जगन्नाथ का मंदिर बनवाने का निर्णय लिया। इसके बाद, 1230 में राजा अनंगभीम तृतीय ने अपना राज्य इस देवता को समर्पित कर दिया और स्वयं को भगवान का प्रतिनिधि घोषित किया।
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