ऐसा राष्ट्रीय धर्म स्थापित करना जो हिंदू और मुस्लिम दोनों को स्वीकार्य हो
दीन-ए-इलाही का अर्थ है "ईश्वर का धर्म"। यह एक धार्मिक प्रणाली थी जिसे मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में प्रस्तुत किया था। उनका उद्देश्य इस्लाम और हिंदू धर्म को एक साथ जोड़कर एक नया मत बनाना था, जिसमें ईसाई, पारसी और जैन धर्म के तत्व भी शामिल किए गए थे। अकबर को धार्मिक मामलों में गहरी रुचि थी।
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