कन्नौज में इत्र निर्माण की पुरानी परंपरा है, जिसमें 7वीं शताब्दी में अगरवुड तेल का उल्लेख मिलता है। यह उद्योग पारंपरिक और श्रम-प्रधान हाइड्रो-डिस्टिलेशन विधि 'डिग भपका' का उपयोग करता है और विभिन्न जड़ी-बूटियों व मसालों से 'शमामा' जैसे प्रसिद्ध इत्र बनाता है। इत्र निर्माता फूलों, खस और मसालों सहित कई प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग करते हैं, जिन्हें आमतौर पर सुगंध बनाए रखने के लिए सुबह जल्दी तोड़ा जाता है। हालांकि, यह पारंपरिक प्रक्रिया अल्कोहल-आधारित परफ्यूम और कच्चे माल की बढ़ती लागत के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है, जिससे लिक्विड पैराफिन जैसे विकल्पों का उपयोग बढ़ रहा है। यह उद्योग कई सहायक क्षेत्रों को भी समर्थन देता है। कन्नौज के इत्र को 2014 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग मिला, लेकिन यह ग्रास, फ्रांस की तरह प्रमुख पर्यटन स्थल नहीं बन पाया है।
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