भारतीय दंड संहिता की धारा 306 "आत्महत्या के लिए उकसाने" से संबंधित है। इसके तहत अधिकतम 10 वर्ष की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। यह धारा कानूनी कार्यवाही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि इसमें यह साबित करना आवश्यक होता है कि पीड़ित को जानबूझकर प्रताड़ित किया गया, जिससे उसने आत्महत्या कर ली। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि मरने से पहले दिया गया बयान मृत्यु के कारणों को स्पष्ट करता है तो उसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।
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