असहयोग आंदोलन उत्तर भारत में अपने चरम पर था, जबकि दक्षिण भारत में इसकी गति धीमी थी। 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास चौरी चौरा में 2000 लोगों की भीड़ शराब की दुकान पर धरना देने के लिए एकत्र हुई। स्थिति संभालने के लिए स्थानीय प्रशासन ने सशस्त्र पुलिस भेजी। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में दो गोलियां चलाईं, जिससे पथराव शुरू हो गया। पुलिस ने गोली चलाई, जिससे 3 लोग मारे गए। गुस्साई भीड़ ने पुलिस चौकी में आग लगा दी, जिसमें अंदर मौजूद सभी 23 पुलिसकर्मी जलकर मर गए।
12 फरवरी 1922 को जब कांग्रेस नेता बारडोली में मिले, तो गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला किया। यह निर्णय कुछ हद तक विवादास्पद था, लेकिन उस समय तक गांधीजी का सम्मान हर कांग्रेसी करता था। इसलिए इस निर्णय को स्वीकार किया गया, हालांकि इससे कार्यकर्ता निराश और बिखर गए। 10 मार्च 1922 को गांधीजी को गिरफ्तार कर अहमदाबाद में मुकदमा चलाया गया और उन्हें 6 साल की साधारण कैद की सजा दी गई।
This Question is Also Available in:
English