मुजफ्फरपुर बम कांड, 1908
चारु शीला देवी ने खुदीराम बोस और अन्य बंगाली क्रांतिकारियों को उनके माथे पर "रक्त का तिलक" लगाकर प्रेरित किया था। वह 1908 के 'मुजफ्फरपुर बम कांड' में शामिल थीं। उन्होंने 1930 के नमक सत्याग्रह और 1932 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया और दोनों बार जेल गईं। उन्हें मिदनापुर के मजिस्ट्रेट की हत्या के मामले में फिर से गिरफ्तार किया गया था।
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