1579 में अकबर ने अपने नए धार्मिक विचार 'दीन-ए-इलाही' का प्रचार करने के लिए इलाही नामक सोने के सिक्के जारी किए। इन सिक्कों पर 'ईश्वर महान है, उसकी महिमा महिमामंडित हो' लिखा होता था। एक इलाही सिक्के का मूल्य 10 रुपये के बराबर था। सहनशाह सबसे बड़ा सोने का सिक्का था। इन सिक्कों पर फारसी सौर महीनों के नाम अंकित होते थे।
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