41. राजपूताना, गुजरात एवं मालवा के नरेशों का सम्मेलन किसने बुलाया था?
[A] जयपुर के महाराजा
[B] मेवाड़ के महाराणा
[C] डूंगरपुर के महारावल
[D] कोटा के महाराव
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Correct Answer: B [मेवाड़ के महाराणा]
Notes:
राजपूताना, गुजरात एवं मालवा के नरेशों का सम्मेलन मेवाड़ के महाराणा ने बुलाया था| यह सम्मेलन राजस्थान के सभी रियासतों को मिलाकर राजस्थान यूनियन का गठन हेतु 25-26 जून, 1946 में बुलाया गया था|
42. सवाई भोज मेला कब आयोजित किया जाता है?
[A] भाद्रपद शुक्ल षष्ठमी
[B] भाद्रपद शुक्ल अष्टमी
[C] भाद्रपद शूक्ल द्वितीया
[D] भाद्रपद शुक्ल एकादशी
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Correct Answer: B [भाद्रपद शुक्ल अष्टमी]
Notes:
सवाई भोज मेला प्रतिवर्ष भाद्रप्रद शुल्क अष्टमी को आयोजित किया जाता है| यह मेला भीलवाड़ा के आसींद में आयोजित किया जाता है|
43. राजस्थान के जयपुर में मदरसा-ए-हुनरी की स्थापना कब की गई थी?
[A] 1851
[B] 1853
[C] 1855
[D] 1857
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Correct Answer: D [1857]
Notes:
राजस्थान के जयपुर में मदरसा-ए-हुनरी की स्थापना 1857 ई. की गई थी| इसकी स्थापना जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह ने की थी| इसे वर्तमान में महाराजा स्कूल ऑफ़ आर्ट एंड क्राफ्ट्स के नाम से जाना जाता है|
44. राजस्थान का कौनसा विश्वविद्यालय है, जिसका कार्यक्षेत्र उसके शहर की नगरपालिका तक सीमित है?
[A] कृषि विश्वविद्यालय
[B] राजस्थान विश्वविद्यालय
[C] जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय
[D] महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय
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Correct Answer: C [जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय]
Notes:
राजस्थान का जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय है, जिसका कार्यक्षेत्र उसके शहर की नगरपालिका तक सीमित है| यह विश्वविद्यालय राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित है|
45. राजस्थानी उपन्यास, नाटक और कहानी के प्रथम लेखक कौन माने जाते है?
[A] चन्द्रसिंह बिरकाली
[B] शालिभद्र सुरि
[C] श्रीलाल नथमल जोशी
[D] श्री शिवचंद भरतिया
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Correct Answer: D [श्री शिवचंद भरतिया]
Notes:
राजस्थानी उपन्यास, नाटक और कहानी के प्रथम लेखक श्री शिवचंद भरतिया माने जाते है| राजस्थान का प्रथम नाटक केसरविलास था|
46. करणीदान की कौनसी रचना जोधपुर नरेशों से संबंधित है?
[A] सूरज प्रकाश
[B] जोधा स्त्रोत
[C] मारवाड़ गाथा
[D] मारवाड़ री ख्यात
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Correct Answer: A [सूरज प्रकाश]
Notes:
करणीदान की सूरज प्रकाश रचना जोधपुर नरेशों से संबंधित है| करणीदान बाहरठ राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे| इनके द्वारा रचित एक कहानी- संग्रह माटी री महक के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था|
47. बरसा रा डिगोड़ा डुंगर लांघिया के रचयिता कौन थे?
[A] मणि मधुकर
[B] श्रीलाल नथमल जोशी
[C] हमीदुल्ला
[D] नारायण सिंह भाटी
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Correct Answer: D [नारायण सिंह भाटी]
Notes:
बरसा रा डिगोड़ा डुंगर लांघिया के रचयिता नारायण सिंह भाटी थे| नारायण सिंह भाटी पुलीस अधीक्षक तथा राजस्थानी भाषा के साहित्यकार थे|इन्होनें 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी भाग लिया था| आजादी से पहले यह जैसलमेर के कनोट के हाकम भी रहे थे| इन्हें 4 बार राष्ट्रपति पुलिस पदक और 6 बार गैलेंट्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था|
48. दुरसा आढ़ा ने किस ग्रन्थ को पांचवां वेद कहा है?
[A] पद्मावत
[B] कुवलयमाला
[C] मारवाड़ रा परगना री विगत
[D] वेलि कृष्ण रुकमणि री
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Correct Answer: D [वेलि कृष्ण रुकमणि री]
Notes:
दुरसा आढ़ा ने वेलि कृष्ण रुकमणि री ग्रन्थ को पाचवां वेद कहा है| यह डिंगल भाषा का उत्कृष्ट खण्डकाव्य है| इसकी रचना राठौड़राज पृथ्वीराज ने 1580 ई. में की थी। इसी रचना में डिंगल के छंद वेलियो गीत का प्रयोग हुआ है। सम्पूर्ण कृति 305 पद्यों में समाप्त हुई है। यह कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की कथा कृति का विषय है। राजस्थान में ‘वेलि क्रिसन रुकमणी री’ अत्यंत लोकप्रिय है। उसकी प्रशंसा में अनेक पद्य राजस्थान में प्रचलित हैं।
49. भारत के प्रसिद्ध ग़जल गायक एवं संगीतकार जगजीत सिंह का जन्म कहाँ हुआ था?
[A] वाराणसी
[B] मुक्तसर
[C] पुणे
[D] गंगानगर
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Correct Answer: D [गंगानगर]
Notes:
भारत के प्रसिद्ध ग़जल गायक एवं संगीतकार जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान के गंगानगर में हुआ था| इनकी ग़ज़लों ने न सिर्फ़ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इज़ाफ़ा किया बल्कि ग़ालिब, मीर, मजाज़, जोश और फ़िराक़ जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया है| इन्हें 2003 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था| 2014 में इनके सम्मान व स्मृति में दो डाक टिकट भी जारी किये गये थे|
50. सदारंग भारत में प्रथम नुक्कड़ नाटक खेलने का श्रेय किसे दिया जाता है?
[A] श्री मोहन महर्षि
[B] श्री नंदकिशोर आचार्य
[C] डी. एन शैली
[D] श्री. एस. वासुदेव
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Correct Answer: D [श्री. एस. वासुदेव]
Notes:
सदारंग भारत में प्रथम नुक्कड़ नाटक खेलने का श्रेय श्री. एस. वासुदेव को दिया जाता है| नुक्कड़ नाटक एक ऐसी नाट्य विधा है, जो परंपरागत रंगमंचीय नाटकों से भिन्न है। यह रंगमंच पर नहीं खेला जाता तथा आमतौर पर इसकी रचना किसी एक लेखक द्वारा नहीं की जाती, बल्कि सामाजिक परिस्थितियों और संदर्भों से उपजे विषयों को इनके द्वारा उठा लिया जाता है। जैसा कि नाम से जाहिर है इसे किसी सड़क, गली, चौराहे या किसी संस्थान के गेट अथवा किसी भी सार्वजनिक स्थल पर खेला जाता है। इसकी तुलना सड़क के किनारे मजमा लगा कर तमाशा दिखाने वाले मदारी के खेल से भी की जा सकती है। अंतर यह है कि यह मजमा बुद्धिजीवियों द्वारा किसी उद्देश्य को सामने रख कर लगाया जाता है।