मेघालय के जंगलों से खोजा गया नई प्रजाति का कीड़ा: स्पाथास्पाइना नूहि

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय के समृद्ध वनों से वैज्ञानिकों ने एक नई और अनोखी प्रजाति की खोज की है, जिसने कीट विज्ञान जगत में हलचल मचा दी है। यह कीड़ा न केवल एक नई प्रजाति के रूप में पहचाना गया है, बल्कि इसे एक पूर्णतः नए वंश (genus) में भी वर्गीकृत किया गया है। इस नई प्रजाति का नाम स्पाथास्पाइना नूहि रखा गया है, जो अपने पीठ पर मौजूद तलवार-नुमा कांटे जैसी संरचना के लिए जाना जाता है।

तलवार जैसी संरचना ने दिलाई नई पहचान

स्पाथास्पाइना नूहि की सबसे विशेष बात यह है कि इसके शरीर के ऊपरी भाग में एक दुर्लभ और प्रभावशाली तलवार-नुमा कांटा पाया जाता है। इसी विशेषता के आधार पर वैज्ञानिकों ने इसे एक नए वंश ‘Spathaspina’ में शामिल किया है। यह नाम लैटिन शब्दों spatha (तलवार) और spina (कांटा) से मिलकर बना है।
यह कीड़ा मेघालय के री भोई जिले के उमरान क्षेत्र में 781 मीटर की ऊंचाई पर खोजा गया। इसकी खोज केरल कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञानी एस. एस. अनुज द्वारा की गई, और इसका औपचारिक विवरण डॉ. बी. रमेश ने अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘ज़ूटाक्सा’ में प्रकाशित किया।

स्यूटोरहाइंकिनी उप-परिवार का हिस्सा

स्पाथास्पाइना नूहि स्यूटोरहाइंकिनी (Ceutorhynchinae) उप-परिवार का सदस्य है, जिसमें वैश्विक स्तर पर लगभग 1300 ज्ञात प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह उप-परिवार विशेष रूप से यूरोप और एशिया में अधिक विविधता रखता है। इन कीड़ों की पहचान उनके मजबूत शरीर, विश्राम की स्थिति में सूंड को पैरों के बीच मोड़ने की क्षमता और पीठ से दिखाई देने वाली विशिष्ट संरचना से होती है।
इस उप-परिवार के भीतर मेसिसमोडेरिनी (Mecysmoderini) नामक जनजाति है, जिसमें वर्तमान में 8 वंश और 107 प्रजातियाँ शामिल हैं। यह जनजाति आमतौर पर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाती है और इसकी पहचान पीठ पर कांटे जैसी संरचना, छिपा हुआ स्कुटेलर शील्ड और एंटीना की विशिष्ट रचना से होती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • स्पाथास्पाइना नूहि को मेघालय के उमरान क्षेत्र में खोजा गया, जो समुद्र तल से 781 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
  • यह कीड़ा वुईविल परिवार (Curculionidae) का हिस्सा है, जिसमें दुनियाभर में 60,000 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • Ceutorhynchinae उप-परिवार के कीड़े सामान्यतः यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका में सबसे अधिक पाए जाते हैं।
  • इस प्रजाति का नाम केरल के पर्यटन निदेशक पी. बी. नूह के सम्मान में रखा गया है, जो प्रकृति-आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं।

संरक्षण और सतत विकास का संदेश

इस नई खोज का महत्व केवल वैज्ञानिक नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के संदेश को भी उजागर करता है। पी. बी. नूह के नाम पर इस प्रजाति का नामकरण, उनकी पारिस्थितिकीय संतुलन और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह खोज न केवल जैव विविधता की समृद्धि को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि उत्तर-पूर्व भारत के घने वन अभी भी अनेक वैज्ञानिक रहस्यों को समेटे हुए हैं।
इस प्रकार, स्पाथास्पाइना नूहि की खोज भारतीय विज्ञान और पर्यावरण चेतना के लिए एक प्रेरणादायक कदम है, जो हमें प्रकृति के प्रति और अधिक जागरूक और संवेदनशील बनाता है।

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