गढ़चिरौली की सुरजागढ़ खदान को मिली पर्यावरण मंजूरी: लौह अयस्क उत्पादन 26 MTPA तक बढ़ेगा

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में स्थित सुरजागढ़ लौह अयस्क खदान को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की गैर-कोयला खनन परियोजनाओं की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान की है। इस मंजूरी के तहत लॉयड्स मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड को वर्तमान 10 मिलियन टन वार्षिक (MTPA) उत्पादन सीमा को बढ़ाकर 26 MTPA तक ले जाने की अनुमति दी गई है। यह कदम एक ऐसे क्षेत्र में औद्योगिक विकास को गति देने का प्रयास है, जो वर्षों से माओवादी हिंसा से प्रभावित रहा है।

सुरजागढ़ खदान: खनन से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक

सुरजागढ़ की खदान भीमरगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में स्थित है, जो जैव विविधता से समृद्ध एक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र है। विशेषज्ञ समिति ने अपनी मंजूरी में वन्यजीव प्रबंधन और संरक्षण योजना के पालन को अनिवार्य बताया है। परियोजना के 10 किमी के दायरे में वनस्पति और जीव-जंतु की निगरानी को लगातार जारी रखने की सिफारिश की गई है।

परियोजना के तहत 900 हेक्टेयर जंगल को साफ करने और एक अयस्क धोने वाले संयंत्र के लिए 1 लाख से अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति भी दी गई है। इस संयंत्र का उद्देश्य लौह अयस्क को उच्च गुणवत्ता वाला इस्पात बनाने योग्य बनाना है।

ग्रीन माइनिंग की ओर कदम

लॉयड्स मेटल्स ने इस परियोजना को देश की पहली ‘ग्रीन माइन’ के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य आरंभ कर दिया है। कंपनी का दावा है कि CO₂ उत्सर्जन में प्रति वर्ष 32,000 टन की कटौती की गई है और इसे आगे 50,000 टन तक लाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, 87 किलोमीटर लंबी स्लरी पाइपलाइन के माध्यम से अयस्क परिवहन की योजना बनाई गई है, जिससे सड़कों पर ट्रक निर्भरता कम होगी और प्रदूषण में गिरावट आएगी।

‘मिशन ग्रीन’ के तहत अब तक 3 लाख से अधिक पौधारोपण किया जा चुका है, जबकि देश की सबसे बड़ी हरित वाहन फ्लीट खदान स्थल पर संचालित हो रही है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

    • सुरजागढ़ लौह अयस्क खदान 348 हेक्टेयर में फैली है और कंपनी को इसकी लीज 2007 में मिली थी, जो अब 2057 तक बढ़ा दी गई है।
  • दिसंबर 2016 में नक्सलियों ने खदान पर बड़ा हमला किया था, जिसमें 69 ट्रकों और 3 मशीनों को जला दिया गया था।
  • कंपनी को 2023 में 10 MTPA उत्पादन की मंजूरी ‘उल्लंघन श्रेणी’ में दी गई थी, जब पुरानी EC समाप्त होने के बाद भी खनन कार्य जारी था।
  • 2021–22 में खदान का उत्पादन केवल 207 मिलियन टन रहा, जबकि मंजूरी 3 MTPA की थी। इसका प्रमुख कारण नक्सली गतिविधियाँ और सुरक्षा समस्याएँ थीं।
  • मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2025 के नववर्ष का पहला दिन गढ़चिरौली में बिताया, जहां 11 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया और एक 32 किमी लंबी बस सेवा शुरू की गई।

गौरतलब है कि सुरजागढ़ खदान को मिली नई मंजूरी न केवल कंपनी की उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि यह परियोजना गढ़चिरौली को औद्योगिक नक्शे पर स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाएगी। यह कदम पर्यावरणीय सतर्कता और टिकाऊ विकास के संतुलन का एक उदाहरण बन सकता है।

1 Comment

  1. Himani

    June 10, 2025 at 9:01 am

    By cutting forests and snatching forest dwellers it is green and environmental friendly scheme.wao!! Hats off!!! Temperature is increasing day by day.Every is veryyy greeeen.Sari development forest ko cut krke hi krni h?? Cities me people ko evacuate krmekijiy zra.nooo !! Minorities ko exploit krke hiii krni h in sbko development

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