सऊदी-पाकिस्तान रणनीतिक रक्षा समझौता: भारत के लिए एक कूटनीतिक चुनौती
हाल ही में पाकिस्तान और सऊदी अरब द्वारा घोषित रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। इस समझौते में जो सबसे विवादास्पद वाक्य रहा, वह यह है कि “किसी एक देश पर किया गया आक्रमण दोनों पर आक्रमण माना जाएगा।” यह पंक्ति न केवल भारत की पश्चिम एशिया नीति को चुनौती देती है, बल्कि इस क्षेत्र में भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक उपस्थिति पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है।
पृष्ठभूमि और भारत की रणनीति
अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए एक व्यापक कूटनीतिक प्रयास शुरू किया। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के बाद की सबसे बड़ी सैन्य मुठभेड़ हुई। इस दौरान “ऑपरेशन सिंदूर” के अंतर्गत भारतीय सेना ने पाकिस्तान के भीतर स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। उसी समय सऊदी अरब और ईरान के प्रतिनिधि भारत में मौजूद थे, और सऊदी विदेश मामलों के राज्य मंत्री अदेल अल-जुबैर ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और प्रधानमंत्री कार्यालय से मुलाकात की थी।
हालाँकि, इसके बाद सऊदी अरब द्वारा पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौता करना, भारत के प्रयासों को झटका देता प्रतीत होता है। यह समझौता न केवल पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक जीत है, बल्कि भारत के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती भी प्रस्तुत करता है।
पश्चिम एशिया की बदलती राजनीतिक बुनावट
यह घटनाक्रम सिर्फ दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं है। अक्टूबर 2023 में इज़राइल पर हमास के हमले के बाद से पश्चिम एशिया में रणनीतिक समीकरणों में व्यापक बदलाव आया है। अमेरिका की घटती सैन्य विश्वसनीयता और बढ़ती बहुध्रुवीयता की ओर रुझान ने सऊदी अरब को अपनी परंपरागत सैन्य साझेदारियों की ओर लौटने को प्रेरित किया है। पाकिस्तान, एकमात्र इस्लामी परमाणु शक्ति, सऊदी अरब के लिए हमेशा से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है।
पाकिस्तान की सेना, विशेषकर भारत के साथ हुए संघर्षों में प्राप्त युद्ध अनुभव के कारण, सऊदी अरब की सुरक्षा संरचना को मजबूत करने का एक प्रमुख साधन मानी जाती है। इसके अलावा, अतीत में पाकिस्तान को ‘इस्लामिक बम’ का दर्जा भी दिया गया है, जो इस रक्षा गठबंधन के पीछे की वैचारिक और सामरिक गहराई को दर्शाता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र इस्लामी देश है जिसके पास परमाणु हथियार हैं।
- 2015 में पाकिस्तान ने सऊदी अरब के नेतृत्व वाले यमन युद्ध में सेना भेजने से इनकार कर दिया था, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी।
- अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू हुआ था।
- भारत की जनगणना 2021 से टलकर अब 2027 में होने जा रही है, जो क्षेत्रीय वर्गीकरण के लिहाज से रणनीतिक रूप से अहम है।