भूस्खलन आपदाओं से निपटने के लिए NDMA की नई रणनीति: “3M” दृष्टिकोण

देश में बदलते मानसून पैटर्न और बढ़ती अत्यधिक वर्षा की घटनाओं को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने भूस्खलन प्रबंधन को लेकर अपनी कार्य योजना में “3M” — मैपिंग, मॉनिटरिंग और मिटिगेशन को शामिल करने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य तीन R — रेजिलिएंट रिकवरी, रैपिड रिस्पॉन्स और रिस्क असेसमेंट को मजबूत बनाना है।
NDMA की नई कार्य योजना
NDMA के सलाहकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के कार्यकारी निदेशक सफी रिज़वी ने बताया कि यह रणनीति केवल डेटा एकत्र करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य स्थायी समाधान और नुकसान की रोकथाम है। उन्होंने कहा, “मैपिंग और मॉनिटरिंग हमारी शुरुआत है, लेकिन मिटिगेशन (रोकथाम) हमारा असली लक्ष्य है।”
जलवायु परिवर्तन और बढ़ता खतरा
IPE Global और Esri India द्वारा प्रस्तुत एक नई रिपोर्ट के अनुसार:
- 2030 तक चरम वर्षा की घटनाओं में 43% की वृद्धि हो सकती है।
- भारत के 72% टियर I और टियर II शहरों में हीटवेव और अत्यधिक वर्षा की दोहरी मार पड़ेगी।
- 1993 से 2024 तक हीटवेव के दिनों में 15 गुना वृद्धि, और 2014 से अब तक 19 गुना वृद्धि देखी गई है।
- लगातार गर्मी और अनियमित बारिश से भूस्खलन और बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है।
NDMA के भूस्खलन प्रबंधन दिशानिर्देश
- जोखिम मूल्यांकन और क्षेत्र चिह्नांकन: भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान और संसाधनों के आकलन की प्रक्रिया।
- अर्ली वार्निंग सिस्टम: ज़मीन की गतिविधियों और दबावों की निरंतर निगरानी और समय-समय पर डेटा ट्रांसमिशन।
- जोखिम मूल्यांकन हेतु बहु-विषयी जांच: भूगर्भीय और इंजीनियरिंग मानकों के आधार पर स्थायी समाधान विकसित करना।
- मिटिगेशन और रिमीडिएशन उपाय:
- खतरे वाले क्षेत्रों में निर्माण पर प्रतिबंध
- रेस्ट्रेनिंग वॉल, रॉक एंकर और ड्रेनेज सुधार कार्य
- ढलान स्थिरीकरण और भूजल नियंत्रण
- बीमा और मुआवजा योजनाएं
- नियमन और प्रवर्तन: राज्य सरकारों द्वारा भू-उपयोग ज़ोनिंग और निर्माण मानकों का सख्त पालन सुनिश्चित करना।
- जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण: प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को जागरूक करना, प्रशासनिक प्रशिक्षण और स्कूल पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन को शामिल करना।
- आर एंड डी और तकनीकी प्रगति: दूरसंवेदी तकनीक, संचार प्रणाली और नवीनतम उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देना।
वित्तीय प्रावधान
- राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण निधि (NDMF): ₹13,693 करोड़
- राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि (SDMF): ₹32,031 करोड़ (FY 2022-2026)इस निधि का वितरण:
- 10%: रिमोट सेंसिंग और समुदाय भागीदारी
- 20%: मिटिगेशन परियोजनाएं
- 30%: पुनर्निर्माण और रिकवरी
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- NDMA की स्थापना 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत की गई थी।
- भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन एक प्रमुख भू-आपदा है, विशेष रूप से मानसून के दौरान।
- NDMA का “3M” दृष्टिकोण — Mapping, Monitoring, Mitigation — को “3R” — Resilient Recovery, Rapid Response, Risk Assessment — से जोड़ा गया है।
NDMA की यह नई रणनीति दर्शाती है कि भारत अब आपदा के बाद प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि आपदा पूर्व चेतावनी, रोकथाम और टिकाऊ समाधान की ओर बढ़ रहा है। भूस्खलन जैसी जटिल आपदाओं से निपटने के लिए यह एक निर्णायक कदम है।