नाइजीरिया-कैमेरून की सीमाओं पर संकट में घिरी प्रजाति: क्रॉस रिवर गोरिल्ला

नाइजीरिया और कैमरून के घने, कोहरे से ढके पहाड़ों में एक अत्यंत दुर्लभ प्रजाति निवास करती है—क्रॉस रिवर गोरिल्ला। इनकी संख्या अब मात्र 300 से भी कम रह गई है, जिससे इनका देख पाना न केवल दुर्लभ बल्कि अद्भुत अनुभव बन गया है। वैज्ञानिकों, वन्यजीव प्रेमियों, इकोटूरिस्टों और डॉक्युमेंट्री निर्माताओं का ध्यान अब तेजी से इस विलुप्तप्राय प्रजाति की ओर खिंच रहा है। तेजी से घटते आवास, शिकार, जलवायु परिवर्तन और मानवीय अतिक्रमण जैसे खतरों के बीच इन महान वानरों को बचाने की चुनौती दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
क्रॉस रिवर गोरिल्ला का आवास और विशेषताएँ
क्रॉस रिवर गोरिल्ला मुख्य रूप से नाइजीरिया-कैमेरून की सीमा पर स्थित क्रॉस रिवर बेसिन, अफी पर्वत, म्बे पर्वत और टकामांडा राष्ट्रीय उद्यान के पर्वतीय वर्षावनों में पाए जाते हैं। ये क्षेत्र घने जंगलों और बांस की झाड़ियों से भरपूर हैं, जो इन्हें मानव बस्तियों से दूर एकांत निवास प्रदान करते हैं। ये गोरिल्ला आमतौर पर 1,500 से 3,500 मीटर की ऊँचाई पर रहते हैं, जिससे इनसे साक्षात्कार और भी दुर्लभ हो जाता है।
वैज्ञानिक रूप से Gorilla gorilla diehli के नाम से पहचानी जाने वाली यह प्रजाति अन्य गोरिल्ला उपप्रजातियों से कई मायनों में भिन्न है। इनका रंग हल्के भूरा-ग्रे से काला तक होता है, चेहरे, हाथों और पैरों पर बाल नहीं होते, और सिर पर लाल रंग की विशिष्ट कलगी होती है। वयस्क नर गोरिल्लाओं की पीठ पर चांदी जैसे बाल उग आते हैं, जिससे उन्हें “सिल्वरबैक” कहा जाता है।
सामाजिक संरचना और व्यवहार
क्रॉस रिवर गोरिल्ला सामाजिक जीव होते हैं और एक प्रमुख नर के नेतृत्व में 2 से 20 सदस्यों के समूह में रहते हैं। यह “सिल्वरबैक” समूह का मार्गदर्शन करता है—खान-पान, रात बिताने की जगह और सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी की होती है।
ये गोरिल्ला आमतौर पर पत्तों और टहनियों से ज़मीन पर घोंसला बनाते हैं, जबकि बरसात के मौसम में पेड़ों पर जाते हैं। इनका आहार पत्तियाँ, मेवे, जामुन और बेलों से बनता है, जिसके लिए इन्हें व्यापक क्षेत्र में भोजन की खोज करनी पड़ती है। दिलचस्प बात यह है कि ये गोरिल्ला खेतों को बहुत कम नुकसान पहुँचाते हैं, और स्थानीय किसान इन्हें जंगली सूअर की तुलना में कहीं अधिक शांत मानते हैं।
क्रॉस रिवर गोरिल्ला के संकटग्रस्त होने के कारण
अफ्रीका के सबसे संकटग्रस्त महावानर के रूप में क्रॉस रिवर गोरिल्ला को देखा जाता है। इनकी गिरती संख्या के कई कारण हैं:
- मानवजनित खतरे: शिकार और अवैध व्यापार, विशेष रूप से बच्चों को पकड़ने के लिए वयस्कों को मारना।
- वनों की कटाई: आवास का विखंडन और अलग-अलग समूहों का अलग-थलग पड़ जाना।
- बीमारियाँ: इबोला जैसी संक्रामक बीमारियाँ इनकी छोटी आबादी के लिए गंभीर खतरा हैं।
- प्राकृतिक शिकारी: मगरमच्छ और जंगली बिल्ली जैसे शिकारी, हालांकि सबसे बड़ा खतरा मनुष्य ही है।
मादा गोरिल्ला हर चार साल में केवल एक बार संतान देती हैं और हर शिशु को लगभग चार साल तक देखभाल की आवश्यकता होती है। इनका जीवनकाल 35 से 50 वर्षों के बीच होता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- क्रॉस रिवर गोरिल्ला, पश्चिमी गोरिल्ला की एक उपप्रजाति है और इनका वैज्ञानिक नाम Gorilla gorilla diehli है।
- “Nyango” नामक अंतिम क्रॉस रिवर गोरिल्ला जो कैद में था, 2016 में मृत्यु को प्राप्त हुआ।
- ये गोरिल्ला विश्व के सबसे अधिक विलुप्तप्राय वानरों में गिने जाते हैं।
- इनकी सुरक्षा के लिए नाइजीरिया के अफी माउंटेन वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी जैसे क्षेत्रों में संरक्षात्मक प्रयास चल रहे हैं।