UNEP रिपोर्ट का खुलासा: जलवायु परिवर्तन और बाढ़ से बुजुर्गों और पर्यावरण को गंभीर खतरा

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की Frontiers 2025: The Weight of Time रिपोर्ट ने दुनिया के सामने एक महत्वपूर्ण चेतावनी प्रस्तुत की है। यह रिपोर्ट वैश्विक पर्यावरणीय संकटों की पहचान के लिए UNEP के Foresights Trajectory पहल का हिस्सा है, और इसका सातवां संस्करण है। इसमें बुजुर्ग आबादी पर अत्यधिक गर्मी के बढ़ते खतरे और बाढ़ के कारण पुनः सक्रिय हो रहे जहरीले प्रदूषकों की गंभीरता को उजागर किया गया है।
बुजुर्ग आबादी पर अत्यधिक गर्मी का असर
रिपोर्ट के अनुसार, 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में गर्मी से होने वाली मौतें 1990 के दशक की तुलना में 85% बढ़ चुकी हैं। यदि वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है, तो 2050 तक यह मृत्यु दर 370% तक बढ़ सकती है। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों और निम्न से मध्यम आय वाले देशों में बुजुर्गों की संवेदनशीलता अधिक पाई गई है।
भारत में 1986–2005 और 2013–2022 के बीच, हर वर्ष प्रति व्यक्ति 2.1 से 4 अतिरिक्त हीटवेव दिन दर्ज किए गए। बुजुर्गों की शारीरिक संरचना उम्र के साथ शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाती है, जिससे उन्हें दिल, फेफड़े और मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक होता है।
बाढ़ और दबी हुई जहरीली रासायनिक विरासत
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि नदियों और तटीय क्षेत्रों में बाढ़ के कारण पुराने और जहरीले रासायनिक तत्व — जैसे कैडमियम, सीसा और ऑर्गेनोक्लोरीन कीटनाशक — जो पहले पानी और गाद में दफन थे, फिर से सक्रिय हो सकते हैं। ये प्रदूषक पर्यावरण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन सकते हैं।
UNEP ने उदाहरण स्वरूप टेक्सास में 2017 की हरिकेन हार्वे, नाइजर डेल्टा में 2012 की बाढ़, और पाकिस्तान में 2010 व 2022 की बाढ़ों का हवाला दिया, जिनमें हानिकारक रासायनिक तत्व बड़ी मात्रा में फैल गए थे। भारत में गंगा, हिंडन और वैगई नदियों की तलछट में कैडमियम की खतरनाक मात्रा पाई गई है, जो कैंसर, किडनी डैमेज और प्रजनन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- CLAMP पद्धति: जलवायु विश्लेषण के लिए पत्तों के स्वरूप का उपयोग करने वाली वैज्ञानिक विधि।
- कैडमियम क्या है: एक भारी धातु जो मनुष्यों और जलजीवों के लिए विषैली होती है; यह गुर्दे, हड्डियों और प्रजनन पर असर डालती है।
- 15-मिनट शहर अवधारणा: ऐसी योजना जिसमें हर सेवा — जैसे बाजार, अस्पताल, पार्क — 15 मिनट की दूरी पर उपलब्ध हो ताकि बुजुर्ग स्वतंत्रता से रह सकें।
- UNEP Frontiers रिपोर्ट: संयुक्त राष्ट्र की वह श्रृंखला जो उभरते पर्यावरणीय संकटों को उजागर करती है।
समाधान: आयु-समर्थ शहरी विकास और प्रकृति-आधारित समाधान
रिपोर्ट ने शहरी क्षेत्रों को बुजुर्गों के अनुकूल बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। इसके लिए हरियाली, प्रदूषण मुक्त वातावरण, बेहतर शहरी नियोजन और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सेवाओं को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है। 15-मिनट शहर अवधारणा को अपनाने की भी सिफारिश की गई है ताकि बुजुर्ग कम दूरी में स्वतंत्रता से रह सकें।
साथ ही, बाढ़ नियंत्रण के लिए पारंपरिक विधियों जैसे पोल्डर, डाइक, रिटेंशन बेसिन, और प्रकृति-आधारित समाधानों जैसे कि वेटलैंड पुनःस्थापन, नदी क्षेत्र पुनरुद्धार को अपनाने का सुझाव दिया गया है। लेकिन ये उपाय पर्याप्त नहीं माने गए हैं — इसलिए रिपोर्ट ने नदी बेसिन प्रबंधन योजना, सतत निगरानी, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और विज्ञान आधारित निर्णय लेने की आवश्यकता बताई है।
Frontiers 2025: The Weight of Time एक स्पष्ट चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन केवल तापमान वृद्धि नहीं, बल्कि मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुआयामी खतरे लेकर आ रहा है। अब समय है कि नीति, विज्ञान और समाज एक साथ मिलकर इन खतरों का समाधान तलाशें — इससे पहले कि समय का बोझ असहनीय हो जाए।