SITE@50: जब भारत ने अंतरिक्ष तकनीक को गाँवों तक पहुँचाया

अंतरिक्ष की दुनिया एक बार फिर वैश्विक कल्पना का केंद्र बन गई है। भारत में भी इस रुचि का पुनरुत्थान हुआ है, हाल ही में शुभांशु शुक्ला के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) मिशन के ज़रिए। लेकिन अंतरिक्ष के उन पहलुओं को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है जिनका सीधा संबंध समाज की सेवा से है — जैसे कि दूरस्थ क्षेत्रों तक शिक्षा और जानकारी पहुँचाना। इस दिशा में भारत ने जो पहला और ऐतिहासिक कदम उठाया था, वह था SITE — Satellite Instructional Television Experiment — जिसकी शुरुआत 1 अगस्त 1975 को हुई थी।
SITE: अंतरिक्ष से शिक्षा की किरण
SITE, भारत और अमेरिका के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास था, जिसका उद्देश्य देश के छह राज्यों की 2,400 ग्रामीण बस्तियों में विशेष रूप से लगाए गए टीवी सेटों के माध्यम से शिक्षा और विकास परक कार्यक्रम प्रसारित करना था। ये सिग्नल अहमदाबाद और दिल्ली से नासा के ATS-6 उपग्रह को भेजे जाते थे, और वहाँ से सीधे गांवों में स्थित 10 फीट की डिश एंटीना और कन्वर्टर से प्राप्त होते थे। यह प्रक्रिया बाद के DTH (डायरेक्ट टू होम) सिस्टम की पूर्वज कही जा सकती है।
कार्यक्रम की विशिष्टताएं
- चयनित गाँव सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से पिछड़े और दूरस्थ थे, जिनमें कई उड़ीसा के बिना बिजली वाले गाँव भी शामिल थे।
- टीवी सेट स्कूलों या पंचायत घरों में लगाए गए थे, जहाँ जाति और वर्ग की परवाह किए बिना सबके लिए खुले थे।
- विज्ञान शिक्षण कार्यक्रमों के लिए नवस्नातक FTII छात्रों को इसरो ने भर्ती किया और दूरदर्शन ने प्रत्येक राज्य के लिए अलग स्टूडियो बनाए।
SITE की टीम और समाजशास्त्रीय पहल
E V चिटनिस जैसे समर्पित नेताओं के नेतृत्व में युवा इंजीनियरों और सामाजिक वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस योजना को सफल बनाया। सामाजिक वैज्ञानिकों ने गाँवों में 15 महीने तक रहकर प्रभाव का अध्ययन किया। एक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से 45,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया।
SITE के तहत गुजरात के खेड़ा जिले में भारत का पहला जिला-स्तरीय ग्रामीण टीवी स्टेशन स्थापित किया गया, जो बाद में लो-पावर ट्रांसमीटर (LPT) मॉडल का आधार बना। खेड़ा कम्युनिकेशन प्रोजेक्ट को UNESCO का पहला Rural Communication Prize भी मिला।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- SITE को Arthur C. Clarke ने “इतिहास का सबसे बड़ा संचार प्रयोग” बताया था।
- यह पहली बार था जब सीधे उपग्रह से ग्रामीण भारत में टीवी प्रसारण हुआ।
- कार्यक्रमों में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक संदेश शामिल थे।
- सभी ग्राउंड हार्डवेयर भारत में बने, जबकि उपग्रह और लॉन्च अमेरिका से हुआ।
सराभाई की दृष्टि और SITE की प्रासंगिकता
SITE उस दर्शन का साक्षात रूप था जिसे डॉ. विक्रम साराभाई ने ISRO के लिए तय किया था — ज्ञान सृजन और व्यावहारिक उपयोग। सराभाई ने स्पष्ट कहा था कि भारत का उद्देश्य चंद्रमा या ग्रहों की दौड़ में शामिल होना नहीं, बल्कि उन्नत तकनीकों का उपयोग “मनुष्य और समाज की वास्तविक समस्याओं” को हल करने में करना है।
निष्कर्ष
SITE में वह नाटकीयता नहीं थी जो रॉकेट लॉन्च या चंद्रयान की असफलता में होती है, लेकिन उसमें सामाजिक नवाचार की वह गर्माहट थी जो आज भी प्रेरणादायी है। SITE@50 पर यह याद दिलाना जरूरी है कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा का मूल उद्देश्य केवल ऊँचाई नहीं, गहराई तक पहुँचना भी रहा है — उन गाँवों तक, जहाँ पहली बार टीवी की स्क्रीन पर चलती तस्वीरों ने शिक्षा और आशा की एक नई दुनिया दिखाई।