SEBI का नया नियम: अब एक ही कॉमन कॉन्ट्रैक्ट नोट में दिखेगा ट्रेडिंग का औसत मूल्य

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने संस्थागत निवेशकों और बाजार प्रतिभागियों के लिए ट्रेडिंग प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। 27 जून से, सभी बाजार प्रतिभागियों को एक सामान्य (कॉमन) कॉन्ट्रैक्ट नोट जारी करना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें एकल वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) दिया जाएगा।
क्या होता है कॉन्ट्रैक्ट नोट?
कॉन्ट्रैक्ट नोट एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें एक ट्रेडिंग दिन के दौरान किए गए सभी सौदों का सारांश होता है। पहले, यदि किसी निवेशक ने अलग-अलग एक्सचेंजों पर सौदे किए होते, तो उन्हें हर एक्सचेंज से अलग-अलग कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलते थे, जिससे संधारण, मिलान और अनुपालन में कठिनाई होती थी।
नए सुधार की मुख्य बातें
- एकल वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) के साथ कॉमन कॉन्ट्रैक्ट नोट अब अनिवार्य
- मल्टी-वेन्यू ट्रेडिंग के लिए अब एक ही समेकित कॉन्ट्रैक्ट नोट जारी होगा
- ट्रेडिंग के बाद की रिपोर्टिंग अब अधिक सरल और लागत-कुशल हो जाएगी
- अनुपालन (compliance) बोझ में कमी और रिपोर्टिंग में एकरूपता
SEBI के अनुसार, इस प्रणाली को संबंधित हितधारकों के सहयोग से तैयार किया गया है ताकि CC (Clearing Corporation) इंटरऑपरेबिलिटी फ्रेमवर्क के अनुरूप ट्रेडिंग रिपोर्टिंग सुनिश्चित की जा सके।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- VWAP (Volume Weighted Average Price) वह औसत मूल्य होता है जिस पर कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम के आधार पर सौदे हुए हों।
- SEBI की स्थापना 1992 में हुई थी और इसका मुख्य कार्यभार भारतीय प्रतिभूति बाजार को विनियमित और संरक्षित करना है।
- CC इंटरऑपरेबिलिटी फ्रेमवर्क, विभिन्न क्लियरिंग कॉर्पोरेशनों के बीच एकीकृत और कुशल समायोजन को सुनिश्चित करता है।
- यह नियम संस्थागत निवेशकों, ब्रोकर्स, और बड़ी फर्मों के लिए विशेष रूप से लाभकारी साबित होगा।
नए नियम का प्रभाव
इस सुधार से ट्रेडिंग के बाद की प्रक्रियाएं जैसे रिपोर्टिंग, अकाउंटिंग, और अनुपालन अब पहले की तुलना में कहीं अधिक सहज होंगी। अब बाजार प्रतिभागियों को हर एक्सचेंज से अलग-अलग नोट्स संभालने की जरूरत नहीं होगी, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी। इसके साथ ही, निवेशकों को भी एक स्पष्ट और समेकित ट्रेडिंग रिपोर्ट मिलेगी, जो निर्णय लेने और रिकॉर्ड-रखने में सहायक होगी।
SEBI का यह कदम न केवल बाजार को अधिक पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल बनाएगा, बल्कि भारत के पूंजी बाजार को वैश्विक मानकों के अनुरूप भी स्थापित करेगा।