SARAS जीवनोपार्जन मेला 2025: ‘स्वदेशी’ को समर्पित आत्मनिर्भर भारत का उत्सव

नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 5 से 22 सितंबर तक आयोजित SARAS जीवनोपार्जन मेला 2025 का उद्घाटन आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया। यह आयोजन ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी अपनाओ’ जैसे संकल्पों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
ग्रामीण उद्यमिता की प्रेरणादायक झलक
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित इस मेले में देशभर से आईं 400 से अधिक ‘लखपति दीदी’—स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ—अपने उत्कृष्ट उत्पादों का प्रदर्शन कर रही हैं। यह मेला न केवल ग्रामीण महिलाओं को बाजार से जोड़ता है, बल्कि उनकी आत्मनिर्भरता और उद्यमशीलता को राष्ट्रीय मंच पर पहचान भी दिलाता है।
इस अवसर पर श्री शिवराज सिंह चौहान, श्रीमती रेखा गुप्ता और अन्य अतिथियों ने प्रदर्शनी क्षेत्र का भ्रमण किया, उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना की और ‘दीदियों’ से बातचीत कर उनके प्रयासों की प्रशंसा की। भारत फूड कोर्ट में विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजन उपलब्ध हैं और प्रतिदिन ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री का स्वदेशी संकल्प और प्रेरणा
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “यह मेला एक नए भारत की परिकल्पना का प्रतीक है—आत्मनिर्भर और सशक्त।” उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को दोहराते हुए कहा कि इसके लिए ‘स्वदेशी’ को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने सभी उपस्थितों को ‘स्वदेशी अपनाने’ की शपथ दिलाई।
श्री चौहान ने बताया कि अब तक 2 करोड़ से अधिक महिलाएँ ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं और यह संख्या जल्द ही 3 करोड़ पार कर जाएगी। उन्होंने मेले में मौजूद दीदियों को अपने निवास पर आमंत्रित करते हुए सामूहिक भोजन का न्योता भी दिया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- SARAS जीवनोपार्जन मेला ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
- यह मेला ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है।
- इस वर्ष मेला 5 से 22 सितंबर तक दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित किया जा रहा है।
- ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत अब तक 2 करोड़ से अधिक महिलाएँ सालाना एक लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित कर रही हैं।
- भारत फूड कोर्ट और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस मेले को पारंपरिक और आधुनिक भारत की संगम भूमि बनाते हैं।