INS उदयगिरि की नौसेना में वापसी: प्रोजेक्ट 17A के तहत भारत की स्वदेशी नौसैनिक शक्ति का विस्तार

भारतीय नौसेना को 1 जुलाई 2025 को ‘INS उदयगिरि’ के रूप में एक और अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट प्राप्त हुआ है। यह पोत प्रोजेक्ट 17A के तहत बनाए जा रहे सात जहाजों में से दूसरा है, जिसे मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDSL), मुंबई द्वारा रिकॉर्ड 37 महीनों में तैयार किया गया है। यह परियोजना ‘शिवालिक’ श्रेणी के प्रोजेक्ट 17 का परिष्कृत संस्करण है, जो वर्तमान में नौसेना की सेवा में सक्रिय हैं।
INS उदयगिरि: तकनीक और सामर्थ्य का समन्वय
नवीन ‘INS उदयगिरि’ अपने पूर्ववर्ती जहाज, भूतपूर्व INS उदयगिरि (सेवा काल: 1976–2007) का आधुनिक संस्करण है। नए पोत को अत्याधुनिक हथियारों, सेंसर, और प्रणालियों से सुसज्जित किया गया है। इसके डिजाइन में ‘इंटीग्रेटेड कंस्ट्रक्शन’ की तकनीक अपनाई गई है, जिससे निर्माण की गति में काफी सुधार हुआ है।
इस पोत में Combined Diesel or Gas (CODOG) प्रणाली पर आधारित मुख्य प्रणोदन संयंत्र है, जिसमें डीज़ल इंजन और गैस टरबाइन दोनों सम्मिलित हैं। इसके साथ ही कंट्रोलेबल पिच प्रोपेलर (CPP) और एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS) इसकी परिचालन क्षमता को और मजबूत बनाते हैं।
अत्याधुनिक हथियार प्रणाली और स्टील्थ विशेषताएँ
INS उदयगिरि को निम्नलिखित हथियार प्रणालियों से लैस किया गया है:
- सुपरसोनिक सतह से सतह मिसाइल प्रणाली
- मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें
- 76 मिमी गन
- 30 मिमी और 12.7 मिमी की त्वरित फायर क्लोज-इन वेपन सिस्टम्स
इस फ्रिगेट की स्टील्थ विशेषताएँ इसके डिजाइन को और भी घातक बनाती हैं, जिससे यह दुश्मन की नजर से बचते हुए सफल मिशन को अंजाम दे सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- INS उदयगिरि प्रोजेक्ट 17A के सात स्टील्थ फ्रिगेट्स में से दूसरा है, जिसे जुलाई 2025 में नौसेना को सौंपा गया।
- प्रोजेक्ट 17A ‘शिवालिक’ श्रेणी के फ्रिगेट्स का परिष्कृत संस्करण है, जो उन्नत स्टील्थ, हथियार और सेंसर क्षमताओं से लैस है।
- MDSL (मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड) और GRSE (गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स) मिलकर सात फ्रिगेट्स का निर्माण कर रहे हैं।
- CODOG प्रणाली डीज़ल इंजन और गैस टरबाइन के संयोजन से संचालित होती है, जिससे जहाज की गति और परिचालन क्षमता में वृद्धि होती है।
आत्मनिर्भर भारत की नौसेना शक्ति
INS उदयगिरि का निर्माण भारत की स्वदेशी शिप डिजाइन और निर्माण क्षमताओं का प्रमाण है। यह जहाज 200 से अधिक MSMEs के सहयोग से बना है और देश के औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त करता है। इस परियोजना के माध्यम से लगभग 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 10,000 से अधिक लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार मिला है।
पांच और प्रोजेक्ट 17A जहाज निर्माणाधीन हैं और 2026 के अंत तक भारतीय नौसेना को सौंपे जाने की योजना है। INS उदयगिरि का नौसेना में आगमन भारत की समुद्री सुरक्षा और निर्माण क्षेत्र की आत्मनिर्भरता को एक नई ऊंचाई प्रदान करता है। यह न केवल भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाता है, बल्कि उसे वैश्विक समुद्री शक्ति बनने की दिशा में भी अग्रसर करता है।