IIT दिल्ली और गांधीनगर ने बनाया ‘डिस्ट्रिक्ट फ्लड सिवेरिटी इंडेक्स’: अब बाढ़ का प्रभाव मापा जाएगा लोगों पर

भारत में हर साल अनेक जिले बाढ़ से प्रभावित होते हैं, जिससे जान-माल की हानि, विस्थापन और लंबे समय तक सामाजिक-आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। बावजूद इसके, अब तक देश में बाढ़ की गंभीरता को मापने के लिए कोई समग्र और डेटा-आधारित सूचकांक नहीं था। इस शून्यता को भरने के लिए IIT दिल्ली और IIT गांधीनगर के शोधकर्ताओं ने ‘डिस्ट्रिक्ट फ्लड सिवेरिटी इंडेक्स’ (DFSI) विकसित किया है, जो बाढ़ के प्रभाव को केवल उसके जलस्तर से नहीं, बल्कि मानवीय और भौगोलिक प्रभावों से भी आंकता है।
DFSI क्या है और कैसे काम करता है?
यह सूचकांक बाढ़ की गंभीरता को निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख कारकों का उपयोग करता है:
- जिले में बाढ़ की औसत अवधि (दिनों में)
- ऐतिहासिक रूप से बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र का प्रतिशत
- बाढ़ से हुई मौतों की कुल संख्या
- घायल लोगों की संख्या
- जिले की कुल जनसंख्या
चूंकि भारत में ज़्यादातर आपदा प्रबंधन योजनाएं जिला स्तर पर बनाई जाती हैं, इसलिए यह सूचकांक विशेष रूप से जिलों के स्तर पर लागू किया गया है।
परंपरागत सूचकांकों की सीमाएं
IIT दिल्ली के डॉ. मनबेंद्र साहारिया बताते हैं कि अधिकांश मौजूदा सूचकांक केवल बाढ़ की तीव्रता या जलभराव की मात्रा पर ध्यान देते हैं, जबकि DFSI बाढ़ के प्रभाव को लोगों की जान-माल पर केंद्रित करता है। उदाहरण के लिए, त्रिवेंद्रम ज़िले में बाढ़ की घटनाओं की संख्या सबसे अधिक (231 बार) दर्ज की गई, फिर भी वह DFSI की टॉप-30 सूची में शामिल नहीं है। इसका कारण यह है कि वहां बाढ़ का मानवीय प्रभाव अपेक्षाकृत कम है।
असम और बिहार के जिलों की गंभीर स्थिति
DFSI के अनुसार, सबसे गंभीर रूप से प्रभावित जिलों में पटना पहले स्थान पर है, इसके बाद असम के धीमाजी, कामरूप और नगांव जैसे जिले आते हैं। इन जिलों में बाढ़ का प्रभाव अधिक जनसंख्या पर पड़ता है और इससे जानमाल की क्षति भी ज्यादा होती है। इंडो-गैंगेटिक मैदान के जिले भी उच्च रैंकिंग में हैं।
शहरी और ग्रामीण बाढ़ की भिन्नता
IIT गांधीनगर के डॉ. शरद के. जैन का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में बाढ़ केवल वर्षा के कारण नहीं होती, बल्कि अव्यवस्थित शहरी विकास भी एक बड़ा कारण है। यदि शहरी जल प्रबंधन सुधारा जाए, तो कई बाढ़ घटनाओं से बचा जा सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- DFSI भारत का पहला व्यापक जिला-स्तरीय बाढ़ गंभीरता सूचकांक है।
- यह इंडेक्स 1967 से IMD द्वारा एकत्रित डेटा और IIT दिल्ली द्वारा विकसित 40 वर्षों के ऐतिहासिक आंकड़ों पर आधारित है।
- DFSI में बाढ़ की घटनाओं की संख्या के साथ-साथ मानवीय प्रभाव को भी शामिल किया गया है।
- त्रिवेंद्रम ज़िले में सबसे अधिक बाढ़ की घटनाएं दर्ज की गईं, लेकिन वह DFSI की टॉप-30 सूची में नहीं है।
- पटना, धीमाजी, कामरूप, और नगांव जैसे जिले DFSI में सबसे ऊपर हैं।
डिस्ट्रिक्ट फ्लड सिवेरिटी इंडेक्स भारत में बाढ़ प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल नीति-निर्माताओं को अधिक सटीक योजना बनाने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में और अधिक विस्तृत डेटा संग्रहण की प्रेरणा भी देगा। बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण समय की मांग है।