ICAO में पायलट भर्ती विवाद: मुक्त आवाजाही बनाम घरेलू संरक्षण

42वें ICAO असेंबली में विमानन क्षेत्र में कुशल कर्मियों की कमी पर भारत और यूरोपीय संघ (EU) ने अलग-अलग समाधान पेश किए।भारत ने विदेशी एयरलाइंस द्वारा अपने प्रशिक्षित पायलटों, इंजीनियरों और क्रू की भर्ती को धीमा करने के लिए एक वैश्विक “आचार संहिता” का प्रस्ताव दिया, जबकि EU ने प्रतिभा पूल बढ़ाने और विमानन करियर को अधिक आकर्षक बनाने पर जोर दिया।

भारत का तर्क: घरेलू स्थिरता की रक्षा

भारत का कहना है कि विदेशी भर्तियां बिना समन्वय के घरेलू एयरलाइंस की विस्तार योजनाओं को बाधित करती हैं और उन्हें नए कर्मचारियों की भर्ती और प्रशिक्षण में अतिरिक्त संसाधन खर्च करने पड़ते हैं।

  • भारत के सिविल एविएशन रेगुलेशन (CAR) पहले से ही पायलटों के लिए छह महीने की नोटिस अवधि तय करते हैं, जो घरेलू मानक से दोगुनी है।
  • इस अवधि में कंपनियां नए पायलटों की भर्ती और प्रशिक्षण पूरी कर सकती हैं।

EU का दृष्टिकोण: वैश्विक प्रतिभा और मुक्त आवाजाही

EU का मानना है कि समस्या वैश्विक स्तर पर कुशल कर्मियों की कमी है, जिसके कारण पायलट, इंजीनियर, एयर ट्रैफिक मैनेजर और रेगुलेटरी स्टाफ की मांग बढ़ी है।मुख्य कारण:

  • कम वेतन और सुविधाएं
  • थकान प्रबंधन की कमी
  • महामारी के बाद कर्मियों का पलायन
  • विविधता और नए प्रतिभाशाली लोगों तक पहुंच का अभाव

EU का समाधान है—करियर को आकर्षक बनाना, प्रशिक्षण क्षमता बढ़ाना और मुक्त आवाजाही को ILO के सिद्धांतों के अनुरूप बनाए रखना।

‘अनियोजित पलायन’ का सवाल

भारत का तर्क अचानक पलायन पर आधारित है, लेकिन छह महीने की कानूनी नोटिस अवधि होने से ऑपरेशनल संकट की संभावना कम हो जाती है।पायलटों के जाने की असल वजह बेहतर वेतन, नियमित रोस्टर, बेहतर थकान प्रबंधन और जीवन की गुणवत्ता है—ये सभी कारक नियोक्ता के नियंत्रण में हैं।

अन्य क्षेत्रों से तुलना

आईटी और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भारतीय पेशेवर बड़ी संख्या में विदेश जाते हैं। इन क्षेत्रों में भर्ती को सीमित करने के लिए कोई वैश्विक आचार संहिता नहीं है, बल्कि प्रशिक्षण क्षमता और घरेलू प्रोत्साहनों पर निवेश किया जाता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ICAO (International Civil Aviation Organization) की स्थापना 1944 के शिकागो कन्वेंशन के तहत हुई।
  • ILO कन्वेंशन 97 और 111 क्रमशः “Migration for Employment” और “Non-Discrimination” से संबंधित हैं।
  • भारत में पायलटों के लिए नोटिस अवधि छह महीने है, जबकि कई देशों में यह अवधि तीन महीने या उससे कम होती है।
  • ICAO का NGAP (Next Generation of Aviation Professionals) कार्यक्रम विमानन क्षेत्र में नए प्रतिभाशाली पेशेवरों की आपूर्ति बढ़ाने पर केंद्रित है।

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