HAYSTAC प्रयोग क्या है? क्या यह ब्रह्मांड के रहस्यमय डार्क मैटर को उजागर कर सकता है?

HAYSTAC (Haloscope At Yale Sensitive To Axion Cold Dark Matter) एक अत्याधुनिक वैज्ञानिक प्रयोग है, जिसका उद्देश्य ब्रह्मांड के रहस्यमय डार्क मैटर के संभावित कण, “एक्सियॉन” (Axion), का पता लगाना है। यह प्रयोग येल विश्वविद्यालय के राइट प्रयोगशाला में हो रहा है और इसमें येल, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले, लॉरेंस बर्कले नेशनल लैब और कोलोराडो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का सहयोग शामिल है।
HAYSTAC का वैज्ञानिक आधार
एक्सियॉन एक काल्पनिक कण है, जिसे क्वांटम क्रोमोडायनामिक्स (QCD) के स्ट्रॉन्ग CP समस्या के समाधान के रूप में प्रस्तावित किया गया था। इसके अलावा, यह डार्क मैटर का एक संभावित घटक भी माना जाता है। डार्क मैटर वह अदृश्य पदार्थ है, जो ब्रह्मांड के द्रव्यमान का लगभग 85% हिस्सा बनाता है, लेकिन अभी तक इसका प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला है।
HAYSTAC प्रयोग की कार्यप्रणाली
HAYSTAC एक “हैलोस्कोप” है, जो माइक्रोवेव कैविटी और शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करके एक्सियॉन कणों की खोज करता है। इस प्रयोग में, यदि एक्सियॉन कण मौजूद हैं, तो वे चुंबकीय क्षेत्र में फोटॉन (प्रकाश कण) में परिवर्तित हो सकते हैं। HAYSTAC की माइक्रोवेव कैविटी को विभिन्न आवृत्तियों पर ट्यून किया जाता है ताकि एक्सियॉन के संभावित द्रव्यमान के अनुरूप संकेतों का पता लगाया जा सके। इस प्रक्रिया में, जोसेफसन पैरामीट्रिक एम्पलीफायर (JPA) और “स्क्वीज्ड-वैक्यूम स्टेट रिसीवर” जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो सिग्नल-टू-नॉइज़ अनुपात को बढ़ाने में मदद करते हैं।
HAYSTAC के चरण और उपलब्धियाँ
- चरण I: इस चरण में, HAYSTAC ने 55 से 24.0 माइक्रो-इलेक्ट्रॉन वोल्ट (μeV) के द्रव्यमान सीमा में एक्सियॉन के संकेतों की खोज की। हालांकि कोई प्रत्यक्ष संकेत नहीं मिला, लेकिन इसने एक्सियॉन-फोटॉन युग्मन पर महत्वपूर्ण सीमाएं निर्धारित कीं।
- चरण II: इस चरण में, स्क्वीज्ड-वैक्यूम स्टेट रिसीवर का उपयोग किया गया, जिससे स्कैनिंग गति में लगभग दो गुना सुधार हुआ। हाल ही में प्रकाशित परिणामों के अनुसार, HAYSTAC ने एक्सियॉन डार्क मैटर के पैरामीटर स्पेस के एक हिस्से को और अधिक सटीकता से जांचा है।
HAYSTAC का महत्व
HAYSTAC प्रयोग न केवल डार्क मैटर की खोज में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह क्वांटम तकनीकों के विकास और उनके अनुप्रयोगों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस प्रयोग के माध्यम से, वैज्ञानिक ब्रह्मांड के मूलभूत रहस्यों को उजागर करने की दिशा में अग्रसर हैं।