GST ढांचे में व्यापक सुधार की तैयारी: अमित शाह की पहल से बनी सहमति की उम्मीद

वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली को सरल, पारदर्शी और राजस्व के लिहाज से संतुलित बनाने के लिए केंद्र सरकार एक बार फिर व्यापक सुधार की दिशा में कदम उठा रही है। इस प्रक्रिया को गति देने के लिए अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सक्रिय भूमिका निभाने जा रहे हैं। वे राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ व्यापक विचार-विमर्श कर, लंबे समय से लंबित विवादास्पद मुद्दों पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे।
12 प्रतिशत टैक्स स्लैब को हटाने का प्रस्ताव
GST के दर ढांचे में प्रस्तावित बदलावों में सबसे प्रमुख 12 प्रतिशत के स्लैब को समाप्त करना है। इसके तहत कुछ वस्तुएं 5 प्रतिशत स्लैब में और कुछ 18 प्रतिशत स्लैब में स्थानांतरित की जाएंगी। इस बदलाव से दर संरचना में सरलता आएगी, लेकिन इससे केंद्र और राज्यों को ₹70,000-₹80,000 करोड़ तक का संभावित राजस्व नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि सरकार इस मुद्दे पर राज्यों से पूर्व सहमति लेना चाहती है।
राजनीतिक सहमति और संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा
GST परिषद में पहले भी उपभोक्ता-केंद्रित वस्तुओं पर दरें कम करने के कई प्रयास विफल रहे हैं, क्योंकि सभी राज्यों की सहमति प्राप्त करना कठिन रहा है। विपक्ष शासित राज्यों द्वारा जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर GST दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की मांग भी एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। इन राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को सुलझाने के लिए गृह मंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
पूर्व की बैठकें और दरों में सुधार
सितंबर 2021 में लखनऊ में हुई 45वीं GST परिषद की बैठक में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को सुधारने और वर्गीकरण विवाद कम करने की दिशा में चर्चा हुई थी। इसके बाद जनवरी 2022 से वस्त्र और जूते जैसे क्षेत्रों में दरों में बदलाव लागू किए गए। हालांकि, 12 प्रतिशत स्लैब को तब भी बनाए रखा गया था, जिसे अब समाप्त करने पर दोबारा विचार किया जा रहा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- GST प्रणाली 1 जुलाई 2017 को लागू हुई थी और यह भारत का सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष कर सुधार माना जाता है।
- GST के वर्तमान दर स्लैब हैं: 0%, 5%, 12%, 18% और 28%, साथ ही कुछ विलासिता और पाप वस्तुओं पर उपकर (Cess) भी लगता है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में 18% स्लैब से 70-75% GST राजस्व आया, जबकि 12% स्लैब का योगदान केवल 5-6% रहा।
- दिसंबर 2024 की 55वीं बैठक में स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर GST दर घटाने का निर्णय टाल दिया गया था।
GST दरों में यह सुधार केवल एक बैठक में पारित नहीं हो सकता। इसके लिए राज्यों की व्यापक सहमति आवश्यक है और यदि आवश्यकता पड़ी तो परिषद में मतदान के जरिए निर्णय लिया जा सकता है। गृह मंत्री की सक्रियता से इस बार यह प्रयास अधिक प्रभावशाली और राजनीतिक रूप से संतुलित होने की उम्मीद है। यदि यह बदलाव सफल होता है, तो यह भारतीय कर व्यवस्था में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।