ESIC की नई योजना SPREE 2025: असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का द्वार खुला

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) ने अपनी 196वीं बैठक के दौरान “SPREE 2025” (Scheme for Promotion of Registration of Employers and Employees) को मंजूरी दी है। यह योजना 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2025 तक लागू रहेगी और इसका उद्देश्य अधिकतम श्रमिकों और नियोक्ताओं को ईएसआई अधिनियम के तहत सामाजिक सुरक्षा कवरेज में शामिल करना है।
SPREE 2025: क्या है योजना का उद्देश्य?
SPREE 2025 एक विशेष अभियान है जो उन नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए एक बार का अवसर प्रदान करता है जो अब तक ESIC के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं। इसमें अस्थायी, संविदा और दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों को भी शामिल किया गया है।
योजना के प्रमुख प्रावधान:
- पंजीकरण प्रक्रिया: नियोक्ता अपने प्रतिष्ठान और कर्मचारियों को ESIC पोर्टल, श्रम सुविधा पोर्टल, या कंपनी मामलों के मंत्रालय (MCA) पोर्टल के माध्यम से डिजिटल रूप से पंजीकृत कर सकते हैं।
- पंजीकरण की तिथि: पंजीकरण की वैधता उसी तिथि से मानी जाएगी जो नियोक्ता द्वारा घोषित की जाएगी।
- पूर्ववर्ती अवधि की छूट: पंजीकरण से पूर्व की अवधि के लिए कोई योगदान या लाभ लागू नहीं होगा, न ही किसी प्रकार का निरीक्षण या रिकॉर्ड की मांग की जाएगी।
- वैकल्पिक अनुपालन को प्रोत्साहन: योजना का उद्देश्य भयमुक्त माहौल बनाकर स्वैच्छिक पंजीकरण को बढ़ावा देना है।
असंगठित क्षेत्र के लिए लाभकारी पहल
अब तक यदि कोई प्रतिष्ठान समय पर पंजीकरण नहीं कराता था तो उस पर कानूनी कार्रवाई और पिछले वर्षों के बकाया की मांग की जा सकती थी। SPREE 2025 इन बाधाओं को दूर कर उन प्रतिष्ठानों और श्रमिकों को ईएसआई की परिधि में लाना चाहता है जो पहले से इससे वंचित थे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- योजना अवधि: 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2025 तक।
- प्रमुख उद्देश्य: पंजीकरण में आसानी, जुर्माने से छूट और अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा में शामिल करना।
- लाभार्थी: संविदा, अस्थायी और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी।
- ESIC अधिनियम: 1948 में लागू हुआ और श्रमिकों को चिकित्सा, नकद लाभ, मातृत्व और विकलांगता सुरक्षा प्रदान करता है।
SPREE 2025 योजना सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक समावेशी और दूरदर्शी पहल है, जिससे लाखों श्रमिकों को ईएसआई के अंतर्गत स्वास्थ्य लाभ, बीमा और आर्थिक सुरक्षा का लाभ मिल सकेगा। यह पहल भारत सरकार के “सर्व समावेशी श्रम कल्याण” के लक्ष्य को मजबूत करती है और संगठित-असंगठित कार्यबल के बीच की खाई को पाटने का कार्य करती है।