CBDT ने बढ़ाया Cost Inflation Index: पुराने संपत्ति विक्रेताओं को मिलेगा टैक्स में राहत

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वित्त वर्ष 2025–26 के लिए Cost Inflation Index (CII) को बढ़ाकर 376 कर दिया है, जो कि पिछले वर्ष के 363 से अधिक है। यह निर्णय उन करदाताओं के लिए महत्वपूर्ण है जो पुरानी अचल संपत्तियों जैसे भूमि और भवनों को बेचने की योजना बना रहे हैं। CII का उद्देश्य मुद्रास्फीति के प्रभाव को समायोजित करके कर-योग्य पूंजीगत लाभ को वास्तविक लाभों तक सीमित करना है।
CII क्या है और इसका उपयोग कैसे होता है?
Cost Inflation Index (CII) एक सरकारी सूचकांक है जिसका उपयोग लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) की गणना में किया जाता है। इसका उपयोग किसी संपत्ति की खरीद मूल्य को मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजित करने के लिए किया जाता है, जिससे बिक्री मूल्य और समायोजित खरीद मूल्य के बीच के अंतर को कर योग्य लाभ के रूप में दर्शाया जाता है।
नए नियमों के तहत बदलाव
वित्त अधिनियम 2024 के तहत indexation लाभ की उपलब्धता को सीमित कर दिया गया है।
- अब यह लाभ केवल उन्हीं मामलों में मिलेगा जहां संपत्ति 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई हो।
- 23 जुलाई 2024 के बाद खरीदी गई अधिकांश संपत्तियों पर यह लाभ लागू नहीं होगा।
हालांकि, एक “grandfathering provision” के तहत भारतीय निवासी और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) जिनकी संपत्ति 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई है, वे निम्न विकल्पों में से एक चुन सकते हैं:
- 20% LTCG टैक्स (CII के साथ indexation लागू)
- 12.5% फ्लैट टैक्स दर (बिना indexation)
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- CII वित्त वर्ष 2025–26 (आकलन वर्ष 2026–27) के लिए 376 निर्धारित किया गया है।
- यह 3.3% की वृद्धि दर्शाता है, जो मुद्रास्फीति के विरुद्ध आंशिक राहत प्रदान करता है।
- यह बदलाव विशेष रूप से भूमि, भवन, और अचल संपत्तियों की बिक्री पर लागू होगा, जो 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई हो।
- CII का उपयोग पहले संपत्ति, सोना, वित्तीय प्रतिभूतियों और बौद्धिक संपदा जैसी संपत्तियों पर व्यापक रूप से होता था।
करदाताओं पर प्रभाव
CBDT का यह कदम उन करदाताओं को राहत देगा जिन्होंने पुरानी संपत्तियों में लंबे समय तक निवेश किया है। हालांकि अब indexation का दायरा सीमित हो गया है, फिर भी जिनके लिए यह लागू है, उनके लिए यह निर्णय कर योग्य लाभ को घटाकर टैक्स बचत में सहायक होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम पुराने और नए संपत्ति धारकों के बीच असमानता को कम करेगा और करदाताओं को बेहतर योजना बनाने में मदद करेगा। हालांकि इसका प्रभाव सीमित होगा, लेकिन यह निवेशकों को कुछ हद तक मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाव का अवसर देगा।
CBDT का यह निर्णय टैक्स प्रणाली को सरल बनाने और वास्तविक लाभ पर करारोपण सुनिश्चित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।