7,000 करोड़ की स्वीकृति: एनएलसीआईएल को नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार के लिए बड़ी छूट

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक छूट प्रदान की है, जिसके अंतर्गत कंपनी को ₹7,000 करोड़ का निवेश अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी NLC इंडिया रिन्यूएबल्स लिमिटेड (NIRL) में करने की अनुमति मिली है। यह छूट मौजूदा निवेश दिशानिर्देशों और 30% नेट वर्थ सीमा से मुक्त होगी, जिससे कंपनी को वित्तीय और परिचालन संबंधी अधिक लचीलापन मिलेगा।

छूट का उद्देश्य और रणनीतिक महत्व

यह निर्णय भारत की COP26 के तहत की गई प्रतिबद्धताओं और ‘नेट ज़ीरो’ 2070 लक्ष्य की दिशा में एक ठोस कदम है। भारत ने 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता विकसित करने का संकल्प लिया है। NLCIL का लक्ष्य 2030 तक 10.11 GW और 2047 तक 32 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करना है।
सरकार की मंज़ूरी से NLCIL अब अपनी नवीकरणीय ऊर्जा संपत्तियों को NIRL को हस्तांतरित करेगा, और NIRL इन परिसंपत्तियों के प्रबंधन व विस्तार के लिए स्वतंत्र रूप से परियोजनाओं में सीधे या संयुक्त उपक्रमों (JVs) के माध्यम से निवेश कर सकेगा।

हरित ऊर्जा में NIRL की भूमिका

NIRL को NLCIL के हरित ऊर्जा मिशन का प्रमुख मंच बनाया गया है। यह कंपनी अब नई परियोजनाओं में प्रतिस्पर्धी निविदाओं में भाग ले रही है और सौर, पवन एवं अन्य नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश के नए अवसर तलाश रही है।
वर्तमान में, NLCIL के पास 2 GW की स्थापित नवीकरणीय क्षमता है, जिसे NIRL को स्थानांतरित किया जाएगा। इससे NIRL को एक मजबूत आरंभिक पोर्टफोलियो मिलेगा, जो कंपनी की विश्वसनीयता और प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाएगा।

पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभाव

यह निवेश केवल हरित ऊर्जा उत्पादन को ही नहीं बढ़ाएगा, बल्कि कोयले पर निर्भरता घटाने, आयात में कमी लाने और देशभर में 24×7 बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ाने में भी मदद करेगा। साथ ही, परियोजनाओं के निर्माण और संचालन चरणों में बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार उत्पन्न होंगे, जिससे स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ मिलेगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • NLCIL एक नवरत्न CPSE है, जो 2 GW नवीकरणीय ऊर्जा परिसंपत्तियाँ संचालित करता है।
  • लक्ष्य: 2030 तक 10.11 GW और 2047 तक 32 GW हरित ऊर्जा उत्पादन।
  • भारत का 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य ‘पंचामृत’ प्रतिज्ञाओं का हिस्सा है।
  • इस निवेश को DPE द्वारा निर्धारित 30% नेट वर्थ सीमा से छूट दी गई है।

यह पहल भारत की हरित ऊर्जा क्रांति को तेज़ करने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है, जिससे देश को वैश्विक स्तर पर स्थायी ऊर्जा नेतृत्व का स्थान मिल सकता है।

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