बैटरी एनर्जी स्टोरेज को बढ़ावा: केंद्र सरकार ₹5,400 करोड़ की नई VGF योजना लाएगी

भारत सरकार ने अक्षय ऊर्जा के निरंतर आपूर्ति को सुनिश्चित करने और ग्रिड स्थिरता को बनाए रखने के लिए बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) को बढ़ावा देने हेतु ₹5,400 करोड़ की अतिरिक्त वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) योजना की घोषणा की है। यह योजना पहले से चालू ₹3,700 करोड़ की योजना के अतिरिक्त होगी, जिसके तहत 13.2 GWh क्षमता के BESS परियोजनाएं पहले से कार्यान्वित हो रही हैं।

योजना के प्रमुख घटक

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि इस नई योजना के तहत कुल 30 GWh BESS क्षमता विकसित की जाएगी। इससे लगभग ₹33,000 करोड़ का निजी निवेश आकर्षित होने की संभावना है। यह समर्थन पावर सिस्टम डेवलपमेंट फंड (PSDF) से प्रदान किया जाएगा और योजना का उद्देश्य 15 राज्यों में 25 GWh तथा NTPC को 5 GWh आवंटित करना है।

ISTS शुल्क पर राहत

BESS और पंपड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स के लिए इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) शुल्क में 100% छूट की अवधि अब 30 जून 2028 तक बढ़ा दी गई है। यह छूट उन परियोजनाओं पर लागू होगी जो निर्धारित तिथि से पूर्व कमीशन या आवंटित की गई होंगी।

पंपड स्टोरेज क्या है?

पंपड स्टोरेज प्लांट्स जलविद्युत आधारित ऊर्जा भंडारण प्रणाली हैं, जो विभिन्न ऊंचाई वाले दो जलाशयों का उपयोग करके बिजली का उत्पादन करते हैं। यह तकनीक आवश्यकता के समय जल को नीचे बहाकर टरबाइनों के माध्यम से बिजली उत्पन्न करती है — एक प्रकार की ‘विशाल बैटरी’।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • कुल ₹5,400 करोड़ की नई VGF योजना की घोषणा की गई है।
  • कुल 30 GWh BESS क्षमता इस योजना से जोड़ी जाएगी।
  • ISTS शुल्क छूट की मियाद अब 30 जून 2028 तक होगी।
  • भारत का लक्ष्य 2030 तक 393 GW (293 GW सोलर, 100 GW विंड) अक्षय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है।
  • CEA के अनुसार 2027 तक 37 GWh और 2031-32 तक 236 GWh BESS क्षमता की आवश्यकता होगी।
  • नई योजना से FY28 तक 43.2 GWh BESS क्षमता प्राप्त होने की संभावना है।

ग्रिड ढांचे को सशक्त बनाने के लिए UHVAC प्रणाली

सरकार ₹53,000 करोड़ के निवेश से अल्ट्रा हाई वोल्टेज अल्टरनेटिंग करंट (UHVAC) ट्रांसमिशन प्रणाली शुरू करने जा रही है। इसके तहत 1100 kV की 9 ट्रांसमिशन लाइनें 2034 तक विकसित की जाएंगी। इन लाइनों और संबंधित उपकरणों के परीक्षण की व्यवस्था केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (CPRI) कर रहा है।

भूमि मुआवजा नीति में संशोधन

ऊर्जा अवसंरचना के तेजी से विस्तार को प्रोत्साहन देने के लिए राइट ऑफ वे (RoW) नियमों के तहत मुआवजा संरचना में संशोधन किया गया है:

  • टावर क्षेत्र के लिए मुआवजा 85% से बढ़ाकर 200% किया गया।
  • RoW कॉरिडोर के लिए 15% से बढ़ाकर 30%।

हरियाणा और दिल्ली पहले ही इस नई नीति को अपनाने वाले राज्य बन चुके हैं।

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