भारत जल्द लाएगा ₹1,500 करोड़ की योजना: दुर्लभ खनिजों की रीसाइक्लिंग को मिलेगा प्रोत्साहन

चीन से दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों (rare earth magnets) की आपूर्ति को लेकर जारी अनिश्चितता के बीच, भारत सरकार दुर्लभ खनिजों की रीसाइक्लिंग के लिए ₹1,500 करोड़ की प्रोत्साहन योजना लाने की तैयारी कर रही है। यह कदम भारत की क्रिटिकल मिनरल्स आत्मनिर्भरता रणनीति का हिस्सा है और इसके ज़रिए देश में इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा क्षेत्र की सप्लाई चेन को मजबूत किया जाएगा।

किन खनिजों को मिलेगा बढ़ावा?

योजना के तहत जिन प्रमुख रीसाइक्लिंग योग्य दुर्लभ खनिजों को शामिल किया गया है, उनमें शामिल हैं:

  • नीओडिमियम (Neodymium)
  • डिसप्रोसियम (Dysprosium)
  • टर्बियम (Terbium)
  • समेरियम (Samarium)

ये खनिज प्रमुख रूप से ईवी मोटर्स, पवन टरबाइनों, रक्षा उपकरणों और हाई-टेक्नोलॉजी उत्पादों में उपयोग होते हैं।

क्या है योजना का उद्देश्य?

खनिज मंत्रालय के सचिव वी.एल. कंठा राव के अनुसार: “जो भी कंपनी पुराने परमानेंट मैग्नेट्स से इन खनिजों को रीसाइक्लिंग करके पुनः प्राप्त कर सकेगी, उसे सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।”
योजना वर्तमान में अनुमोदन प्रक्रिया में है और जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

कानून और नीतिगत बदलाव

  • खनिज मंत्रालय Mines and Minerals (Development and Regulation) Act में संशोधन की योजना बना रहा है ताकि माइन टेलिंग्स (खनन के बाद बची सामग्री) से खनिजों का निष्कर्षण वैध और लाभकारी बनाया जा सके।
  • उदाहरण के लिए:
    • मैंगनीज माइनिंग से कोबाल्ट
    • बॉक्साइट माइनिंग से रेड मड के जरिए गैलियम

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

लोहम (Lohum) कंपनी के उपाध्यक्ष प्रत्युष सिन्हा के अनुसार: “यह योजना भारत की प्रारंभिक रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री को सशक्त आधार प्रदान करेगी और धीरे-धीरे घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम बनाएगी।”

चीन पर निर्भरता और राष्ट्रीय चिंता

  • भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर विशेष रूप से रेयर अर्थ मैग्नेट्स के लिए चीन पर निर्भर है।
  • 5 जून की रिपोर्ट के अनुसार, भारत से किए गए निर्यात अनुरोध चीन में रुके हुए हैं, जबकि चीन अन्य देशों को निर्यात शुरू कर चुका है।
  • मौजूदा स्टॉक केवल 4 सप्ताह तक चल पाएगा, जिससे ईवी और पारंपरिक वाहन उत्पादन में बाधा आ सकती है।

अन्य रणनीतिक कदम

  • ₹16,300 करोड़ की राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल्स मिशन में रीसाइक्लिंग को प्रमुख पहल के रूप में शामिल किया गया है।
  • सरकार घरेलू उत्पादन के साथ-साथ विदेशों में खनिज संपत्तियाँ अधिग्रहित करने के प्रयास भी कर रही है।
  • नॉन फेरेस मटेरियल्स टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर द्वारा एक नई तकनीक विकसित की गई है, जिससे भारत में खुद रेयर अर्थ मैग्नेट्स का निर्माण अगले 6 महीनों में संभव हो सकेगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Rare Earth Magnets: अत्यधिक मजबूत स्थायी चुम्बक जो इलेक्ट्रिक मोटर्स, रक्षा, रडार, सैटेलाइट्स में प्रयुक्त होते हैं
  • Critical Minerals: वे खनिज जो रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं
  • Mine Tailings: खनिज निष्कर्षण के बाद बचा हुआ अपशिष्ट, जिसमें कई ट्रेस मिनरल्स छिपे होते हैं
  • Red Mud: बॉक्साइट रिफाइनिंग का उपोत्पाद, जिससे गैलियम और अन्य दुर्लभ खनिज निकाले जा सकते हैं
  • Neodymium-Iron-Boron (NdFeB) Magnets: सबसे शक्तिशाली प्रकार के स्थायी चुम्बक

यह योजना भारत की खनिज आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम है। आने वाले वर्षों में यह पहल भारत को क्रिटिकल मिनरल्स और रीसाइक्लिंग के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बना सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *