46.2% भारतीय अपने जीवन की गुणवत्ता को खराब मानते हैं : अध्ययन
भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry – CII) के साथ एक फ्रांसीसी पैकेज्ड खाद्य और पेय कंपनी डैनोन इंडिया (Danone India) द्वारा किए गए एक अध्ययन ने भारत में 2,700 से अधिक वयस्कों के बीच मनोवैज्ञानिक और शारीरिक, सामाजिक संबंधों और पर्यावरण के मानक का आकलन किया है। यह रिपोर्ट सामने आई कि 46.2% भारतीय अपने जीवन की गुणवत्ता को ख़राब मानते हैं।
सर्वेक्षण के संकेतक
- यह निष्कर्ष चार पहलुओं पर आधारित थे – मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक संबंध।
- जिन लोगों का सर्वेक्षण किया गया था, उन्हें या तो जीवन की अच्छी या खराब गुणवत्ता में वर्गीकृत किया गया था। मई और जून 2021 के बीच कोलकाता, दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, इंदौर, चेन्नई, हैदराबाद और पटना में सर्वेक्षण किया गया।
- इस अध्ययन में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग में 30 से 50 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं और पुरुषों को शामिल किया गया।
रिपोर्ट के निष्कर्ष
- इस रिपोर्ट से पता चला है कि हर दो भारतीय वयस्कों में से लगभग एक (यानी 46.2% भारतीय) ने जीवन की खराब गुणवत्ता की सूचना दी है।
- कोलकाता शहर ने खराब गुणवत्ता वाले जीवन स्कोर के साथ वयस्कों का उच्चतम प्रतिशत (65%) दर्ज किया है।
- कोलकाता के बाद चेन्नई (49.8%), दिल्ली (48.5%), पटना (46.2%), हैदराबाद (44.4%), लखनऊ (40%) और इंदौर (39.2%) का स्थान है।
- मुंबई शहर में वयस्कों का उच्चतम प्रतिशत (68%) था, जिन्होंने जीवन की अच्छी गुणवत्ता दर्ज की।
- महिलाओं में शारीरिक गतिविधि के निम्न स्तर के कारण महिलाओं ने शारीरिक स्वास्थ्य के मामले में पुरुषों की तुलना में कम स्कोर किया।
- इस सर्वेक्षण में यह भी दिखाया गया है कि किसी की उम्र, लिंग, कार्य और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर स्कोर कैसे भिन्न होते हैं।
इस स्कोर पर महामारी का प्रभाव
COVID-19 महामारी ने इस दृष्टिकोण को बदल दिया है कि लोग अपनी शारीरिक स्वास्थ्य की स्थिति को कैसे समझते हैं। महामारी ने उन्हें स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने और लोगों को अधिक संतुलित जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित किया है। इसलिए, सर्वेक्षण में शामिल लगभग
Originally written on
July 24, 2021
and last modified on
July 24, 2021.