2029 लोकसभा चुनावों में महिला आरक्षण लागू करने की तैयारी

भारत सरकार ने 2029 के लोकसभा चुनावों में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण को लागू करने की योजना बनाई है। इस ऐतिहासिक कदम की घोषणा के पीछे नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 का क्रियान्वयन है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करता है। यह आरक्षण प्रक्रिया जनगणना और परिसीमन अभ्यास से जुड़ी हुई है, जो भारत की लोकतांत्रिक संरचना में एक बड़े परिवर्तन का संकेत देती है।

नारी शक्ति वंदन अधिनियम और इसकी प्रमुख बातें

नारी शक्ति वंदन अधिनियम, जिसे संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 के रूप में पारित किया गया, का उद्देश्य महिलाओं को राजनीतिक प्रतिनिधित्व में बराबरी देना है। यह अधिनियम तभी प्रभावी होगा जब जनगणना के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। सरकार ने संकेत दिया है कि यह कार्य 2029 तक पूरा हो सकता है, ताकि उस चुनाव में आरक्षण लागू किया जा सके।
नई जनगणना और जातिगत आंकड़ों का संकलन 2026 में शुरू होने वाला है, जिसका संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 होगी। तकनीकी प्रगति के चलते आंकड़ों का संग्रहण डिजिटल माध्यमों से किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया में तेजी आएगी।

परिसीमन से जुड़ी संवेदनशीलताएं

परिसीमन का सीधा असर लोकसभा और विधानसभाओं की सीटों के वितरण पर होता है। जनसंख्या वृद्धि के आधार पर उत्तरी राज्यों को अधिक सीटें मिलने की संभावना है, जबकि दक्षिणी राज्यों की सीटों में कमी हो सकती है, क्योंकि वहाँ जनसंख्या वृद्धि की दर धीमी रही है। इससे ‘एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य’ के संवैधानिक सिद्धांत को लागू करना आसान होगा, परंतु क्षेत्रीय असंतुलन की आशंका भी बढ़ेगी।
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि दक्षिणी राज्यों की चिंता को दूर किया जाएगा और उनके सीटों की संख्या में कोई कमी नहीं होगी। आरएसएस और केंद्रीय मंत्रियों ने भी यह आश्वासन दिया है कि दक्षिणी राज्यों की हिस्सेदारी वर्तमान स्तर पर बनी रहेगी, भले ही लोकसभा सीटों की कुल संख्या बढ़ाई जाए।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को सितंबर 2023 में संसद द्वारा पारित किया गया।
  • वर्तमान में लोकसभा की सीटों का वितरण 1971 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है।
  • भारत में परिसीमन की प्रक्रिया को 1976 और 2001 में दो बार स्थगित किया गया था।
  • अनुच्छेद 82 के अनुसार हर जनगणना के बाद परिसीमन अनिवार्य होता है।

महिला आरक्षण विधेयक का कार्यान्वयन केवल राजनीतिक निर्णय नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव का संकेत भी है। यह महिलाओं को नीति निर्धारण में भागीदारी का समान अवसर प्रदान करेगा। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में कई संवैधानिक और तकनीकी चरण शामिल हैं, जो समयबद्ध ढंग से पूरे किए जाने चाहिए। यदि सब कुछ योजना अनुसार चला, तो 2029 के चुनावों में भारतीय संसद में महिलाओं की उपस्थिति पहले से कहीं अधिक सशक्त और प्रभावशाली हो सकती है।

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