2026 फीफा विश्व कप: अब तक का सबसे पर्यावरणीय रूप से हानिकारक टूर्नामेंट

2026 में होने वाला फीफा पुरुष विश्व कप अब तक के इतिहास का सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाला टूर्नामेंट बनने जा रहा है। ‘साइंटिस्ट्स फॉर ग्लोबल रिस्पॉन्सिबिलिटी’, ‘एनवायरनमेंटल डिफेंस फंड’ और ‘कूल डाउन’ नेटवर्क द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस आयोजन से 9 मिलियन टन से अधिक CO2e (कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य) उत्सर्जन होने की संभावना है।
आयोजन की रूपरेखा और कार्बन संकट
यह 23वां फीफा विश्व कप 48 टीमों और 104 मैचों के साथ कनाडा, मैक्सिको और अमेरिका की 16 होस्ट सिटीज़ में आयोजित होगा। मैचों की संख्या और त्रि-देशीय आयोजन के कारण भारी मात्रा में हवाई यात्रा होगी, जिससे उत्सर्जन दोगुना बढ़ेगा — 2010 से 2022 तक के औसत विश्व कप की तुलना में लगभग दो गुना।
इसके अलावा, सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको के साथ हुई फीफा की प्रायोजन साझेदारी से ही 30 मिलियन टन अतिरिक्त CO2e उत्सर्जन होने का अनुमान है, जो कुल कार्बन पदचिह्न को और बढ़ा देगा।
जलवायु जोखिम और हीट स्ट्रेस
रिपोर्ट के अनुसार, छह स्टेडियमों में गंभीर गर्मी का खतरा है। इनमें डलास, ह्यूस्टन, लॉस एंजेलिस और मियामी प्रमुख हैं, जहां हीट स्ट्रेस के साथ बाढ़, जंगल की आग और तूफानों का खतरा भी है। ये स्थितियाँ खिलाड़ियों और दर्शकों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन सकती हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2026 फीफा विश्व कप से 9+ मिलियन टन CO2e उत्सर्जन की आशंका है।
- टूर्नामेंट में 104 मैच तीन देशों (कनाडा, अमेरिका, मैक्सिको) में होंगे।
- अरामको प्रायोजन से 30 मिलियन टन अतिरिक्त CO2e उत्सर्जन का अनुमान है।
- डलास, ह्यूस्टन, लॉस एंजेलिस और मियामी में गंभीर जलवायु खतरे की चेतावनी है।
- 2030 विश्व कप 6 देशों में और 2034 विश्व कप सऊदी अरब में आयोजित होगा।
निष्कर्ष: फुटबॉल और पर्यावरण की टकराहट
फीफा की बहु-देशीय और अब बहु-महाद्वीपीय आयोजन नीति (2030 में 6 देशों और 2034 में सऊदी अरब) भविष्य में जलवायु संकट को और गहरा कर सकती है। वैज्ञानिकों ने फीफा से अपील की है कि वह तत्काल रूप से उत्सर्जन कम करने के उपाय करे और पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभाए — क्योंकि अब खेल के मैदान में सिर्फ गोल नहीं, ग्रह की सुरक्षा भी दांव पर है।