20 मिलियन वर्ष पुरानी प्रोटीन खोज से बदली विकास की समझ: जीवाश्मों से निकले प्राचीन रहस्य

वैज्ञानिकों ने दो ऐतिहासिक अध्ययनों में दांतों की कठोर इनेमल परत में संरक्षित प्रोटीन अनुक्रमों की खोज की है, जो 20 मिलियन वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। ये निष्कर्ष “नेचर” जर्नल में प्रकाशित हुए हैं और इसने प्राचीन जैव-अण्विक संरक्षित डेटा की समयसीमा को दस गुना पीछे धकेल दिया है — यह अब तक ज्ञात सबसे पुराने प्राचीन डीएनए से भी कहीं अधिक प्राचीन हैं।

कहाँ से मिले ये प्राचीन प्रोटीन?

  1. तुर्काना बेसिन, केन्या

    • 18 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म, गर्म उष्णकटिबंधीय जलवायु में
    • स्तनधारी दांतों से प्राप्त प्रोटीन
    • प्रजातियाँ: प्राचीन हाथी, गैंडा जैसे जानवर
  2. हॉटन इम्पैक्ट क्रेटर, डेवोन आइलैंड, कनाडा

    • 21–24 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म
    • अत्यधिक ठंडी जलवायु, परमाफ़्रॉस्ट संरक्षण
    • गैंडे की उप-प्रजाति Rhinocerotinae के दांत

कैसे संभव हुआ यह?

  • इनेमल संरचना: दांतों की बाहरी परत सबसे कठोर होती है और उसमें फंसे प्रोटीन स्व-फॉसिलाइज हो जाते हैं, जिससे वे लाखों वर्षों तक संरक्षित रह सकते हैं।
  • तेज़ दफन और ऑक्सीजन की कमी: तुर्काना बेसिन और हॉटन झील दोनों स्थानों पर जीवाश्मों का तेज़ दफन और कम ऑक्सीजन ने संरक्षित अवस्था को संभव बनाया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अब तक सबसे पुराना डीएनए: लगभग 2 मिलियन वर्ष पुराना (ग्रीनलैंड से प्राप्त)
  • नई खोज: प्रोटीन > 20 मिलियन वर्ष पुराने
  • प्रोटीन प्रकार: Amelogenin, Enamelin, Ameloblastin
  • तकनीक: अत्याधुनिक मास स्पेक्ट्रोमेट्री और संदूषण नियंत्रण

प्रोटीन बनाम डीएनए

  • डीएनए: उच्च संकल्प क्षमता, करीबी प्रजातियों के बीच भिन्नता दर्शाने में श्रेष्ठ
  • प्रोटीन: लंबे समय तक टिकाऊ, गहरे विकासवादी अंतर समझने में सक्षम

विकास संबंधी निष्कर्ष

  • Rhinocerotidae वंशवृक्ष का पुनर्निर्धारणEpiaceratherium प्रजाति, जो पहले Elasmotheriinae-Rhinocerotinae विभाजन से भी पुरानी मानी गई है, अब नए प्रोटीन डेटा के आधार पर इस विभाजन से पहले अलग हुई मानी जा रही है। यह fossil-based मॉडलों को चुनौती देता है।
  • महत्वपूर्ण समूहों की उत्पत्ति और विविधतातुर्काना बेसिन में पाए गए जीवाश्मों से अफ्रीकी स्तनधारियों जैसे हाथी, दरियाई घोड़े, मानव पूर्वज आदि के विकास संबंधी महत्वपूर्ण सुराग मिलते हैं।

वैज्ञानिकों की राय

  • डॉ. निरज राय (BSIP, लखनऊ): “यह खोज जैव-अण्विक संरक्षण की समयसीमा को पुनर्परिभाषित करती है।”
  • डॉ. टिमोथी पी. क्लेलेन्ड (स्मिथसोनियन): “इनेमल प्रोटीन जीवों की जैविक लिंग पहचान और विकास क्रम समझने में सक्षम हैं।”
  • डॉ. डैनियल ग्रीन (हार्वर्ड): “पुराने नमूनों में पाए गए आश्चर्यजनक संख्या में पेप्टाइड दर्शाते हैं कि तेज़ दफन और भौगोलिक स्थितियाँ संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं।”

भविष्य की संभावनाएँ

  • >24 मिलियन वर्ष पुरानी जैविक जानकारी संभवतः आर्कटिक या अंटार्कटिक जैसी “प्राकृतिक फ्रीज़र” स्थितियों में मिल सकती है।
  • इस खोज से paleoproteomics (प्राचीन प्रोटीन अध्ययन) में नई क्रांति आ सकती है, जिससे हम कई मौजूदा विकासवादी सिद्धांतों को पुनः जांच सकते हैं।

यह ऐतिहासिक खोज न केवल विज्ञान के लिए बल्कि मानव विकास की गहरी समझ के लिए भी मील का पत्थर है। यह बताती है कि समय की परतों के नीचे अब भी लाखों वर्षों पुरानी कहानियाँ दांतों में छिपी हो सकती हैं — बस उन्हें पढ़ने की तकनीक चाहिए।

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