हिमालय में खोजा गया नया चमगादड़, विज्ञान और सीमाओं से परे की कहानी

हिमालय में खोजा गया नया चमगादड़, विज्ञान और सीमाओं से परे की कहानी

भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में वर्ष 2017 से 2021 के बीच किए गए सर्वेक्षणों के दौरान 29 प्रकार के चमगादड़ों की पहचान की है। इनमें से एक विशेष प्रजाति, ‘हिमालयन लॉन्ग-टेल्ड मायोटिस’ (Myotis himalaicus), विज्ञान के लिए पूरी तरह नई है और यह भारत-पाकिस्तान सीमा की परिभाषाओं से परे एक साझा जैविक धरोहर को उजागर करती है। यह खोज भारतीय उपमहाद्वीप में स्तनधारी जीवों के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

वैज्ञानिक खोज और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

इस नई प्रजाति की खोज उत्तराखंड के चमोली जिले के अंसूया क्षेत्र में मई 2021 में हुई थी। जब वैज्ञानिकों ने इसका टैक्सोनोमिक विश्लेषण किया, तो पाया गया कि यह प्रजाति पहले पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में 1998 में हंगेरियन वैज्ञानिक गाबोर चॉर्बा द्वारा एकत्रित एक अपरिभाषित नमूने से मेल खाती है। इस खोज को पाँच वैज्ञानिकों की टीम ने अंजाम दिया जिसमें भारतीय, हंगेरियन और स्विस वैज्ञानिक शामिल हैं। यह अध्ययन ‘ज़ूटाक्सा’ नामक विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

नई प्रजातियों की पहचान और विस्तार

इस अध्ययन के दौरान हिमालयन लॉन्ग-टेल्ड मायोटिस के अलावा पूर्वी एशियाई फ्री-टेल्ड बैट (Tadarida insignis) को भी भारत की चमगादड़ जीवसमूह में जोड़ा गया। यह पहले यूरोपीय फ्री-टेल्ड बैट समझा जाता था, लेकिन डीएनए विश्लेषण ने इसकी अलग पहचान साबित की। इसके अतिरिक्त, बाबू पिपिस्ट्रेल (Pipistrellus babu) नामक एक प्राचीन और अल्पज्ञात प्रजाति की स्वतंत्र स्थिति भी इस अध्ययन में प्रमाणित की गई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में अब तक पहचानी गई चमगादड़ों की कुल प्रजातियों की संख्या 135 हो चुकी है।
  • हिमालयन लॉन्ग-टेल्ड मायोटिस, मायोटिस फ्रेटर कॉम्प्लेक्स से संबंधित है, जिसकी उपस्थिति चीन, जापान, कोरिया और सिबेरिया तक फैली है।
  • पूर्वी एशियाई फ्री-टेल्ड बैट की मौजूदगी ने इसकी ज्ञात सीमा को 2,500 किमी पूर्व की ओर बढ़ा दिया है।
  • बाबू पिपिस्ट्रेल को पहली बार मुर्री हिल्स (अब पाकिस्तान में) में 100 वर्ष पहले दर्ज किया गया था।

यह अध्ययन न केवल हिमालय क्षेत्र की जैव विविधता को उजागर करता है बल्कि यह भारत और पड़ोसी देशों में छोटे स्तनधारियों के संरक्षण के लिए भी एक नई दिशा प्रदान करता है। नई प्रजातियों की यह खोज हमें प्रकृति की अद्भुत विविधता के प्रति और अधिक सजग रहने की प्रेरणा देती है तथा सीमाओं से परे साझा वैज्ञानिक सहयोग की महत्ता को दर्शाती है।

Originally written on June 10, 2025 and last modified on June 10, 2025.

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