हिमाचल प्रदेश की शिक्षा में बदलाव की कहानी: NAS 2025 में उल्लेखनीय छलांग

हिमाचल प्रदेश की शिक्षा में बदलाव की कहानी: NAS 2025 में उल्लेखनीय छलांग

2 जुलाई 2025 को जारी राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) के नतीजों में हिमाचल प्रदेश की अप्रत्याशित सफलता ने सबको चौंका दिया। 2021 में 21वें स्थान पर रहने वाला यह पहाड़ी राज्य अब शीर्ष पांच में शामिल हो गया है। पंजाब और केरल ने जहां अपनी स्थायी बढ़त बनाए रखी, वहीं हिमाचल की 16 अंकों की छलांग ने सुर्खियाँ बटोरीं।

क्या है राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)?

NAS शिक्षा मंत्रालय द्वारा हर तीन साल में आयोजित एक राष्ट्रव्यापी मूल्यांकन है, जो कक्षा 3, 5, 8 और 10 के सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों के छात्रों की भाषा, गणित और विज्ञान जैसे मुख्य विषयों में सीखने की उपलब्धियों को मापता है। यह नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान करता है, लेकिन इसका दायरा सीमित है — यह केवल वे चीज़ें मापता है जो परीक्षित की जा सकती हैं, जैसे कि तथ्यात्मक ज्ञान, न कि आलोचनात्मक सोच, नागरिकता चेतना, या भावनात्मक विकास जैसे व्यापक शैक्षिक उद्देश्य।

हिमाचल की छलांग क्यों महत्वपूर्ण है?

एक समय पर हिमाचल का शिक्षा मॉडल अन्य पर्वतीय राज्यों के लिए प्रेरणा था। स्वतंत्रता के बाद यशवंत सिंह परमार जैसे नेताओं ने गांव-गांव में स्कूल खोलकर शिक्षा को सामाजिक मिशन बनाया। लेकिन उदारीकरण के बाद की नीतियों — जैसे अनुबंध आधारित शिक्षक नियुक्तियाँ, शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट और सार्वजनिक शिक्षा में जनविश्वास की कमी — के कारण सरकारी स्कूलों की हालत बिगड़ती चली गई।
यहाँ तक कि ग्रामीण इलाकों में भी निजी स्कूलों की बाढ़ आ गई। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कभी कहा था कि “कक्षा 8 का छात्र कक्षा 3 का गणित भी नहीं हल कर पा रहा” — यह शिक्षा व्यवस्था की गिरावट का एक स्पष्ट संकेत था।

हाल के वर्षों में क्या बदला?

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल सरकार ने शिक्षा में प्रशासनिक और व्यावहारिक दोनों स्तरों पर सुधार की दिशा में कई कदम उठाए:

  • 1,000 से अधिक स्कूलों का विलय: कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को एकीकृत किया गया, जिससे शिक्षक और संसाधन बेहतर ढंग से प्रयोग हो सके।
  • एकीकृत शिक्षा निदेशालय: पूर्व-प्राथमिक से लेकर कक्षा 12 तक की शिक्षा को एक ही प्रणाली के तहत लाया गया।
  • स्कूल स्तर पर निर्णय लेने की छूट: इससे छात्रों में स्वामित्व की भावना बढ़ी।
  • राष्ट्र स्तरीय और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन यात्राएं: मेधावी छात्रों और शिक्षकों के लिए सीखने के नए अवसर प्रदान किए गए।
  • क्लस्टर मॉडल लागू: स्कूलों को समूहों में बाँटकर सामुदायिक भागीदारी और साझा संसाधनों का उपयोग बढ़ाया गया।

क्या NAS इन सुधारों को दर्शाता है?

आंशिक रूप से। NAS हिमाचल के सही दिशा में लौटने का संकेत जरूर देता है, लेकिन यह छात्रों के सामाजिक-भावनात्मक विकास, शिक्षण की गुणवत्ता या समुदाय की भागीदारी के बारे में जानकारी नहीं देता। वास्तविक सफलता इस बात में है कि हिमाचल ने सार्वजनिक शिक्षा में खोया हुआ विश्वास फिर से स्थापित किया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • NAS हर तीन साल में आयोजित होता है और कक्षा 3, 5, 8, 10 के छात्रों की शैक्षणिक उपलब्धियों को मापता है।
  • हिमाचल ने 2021 में 21वें स्थान से 2025 में शीर्ष 5 में छलांग लगाई।
  • NFHS-5 के अनुसार हिमाचल में जन्म दर में गिरावट हुई है, जिससे शिक्षा ढांचे में पुनर्गठन की आवश्यकता पड़ी।
  • क्लस्टर आधारित मॉडल और एकीकृत निदेशालय जैसे कदम शिक्षा व्यवस्था में नवीनीकरण के संकेत हैं।

आगे बढ़ते हुए, हिमाचल को इन सुधारों को संस्थागत रूप देना होगा — नियमित शिक्षक नियुक्तियाँ, समग्र मूल्यांकन पद्धति और वंचित वर्गों तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करना राज्य को एक दीर्घकालिक शैक्षणिक मॉडल बना सकता है। यह कहानी केवल एक रैंकिंग की नहीं, बल्कि शिक्षा में विश्वास की पुनर्स्थापना की है।

Originally written on July 14, 2025 and last modified on July 14, 2025.

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