“हाट ऑन व्हील्स” और हैंडलूम एक्सपो से सजी 11वीं राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस की भव्य शुरुआत

भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय और नेशनल हैंडलूम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NHDC) के सहयोग से 11वां राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस भव्य रूप में मनाया गया। इस अवसर पर केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने “हाट ऑन व्हील्स” मोबाइल रिटेल पहल और एक विशेष हैंडलूम एक्सपो का उद्घाटन किया। यह आयोजन जनपथ स्थित हैंडलूम हाट में हुआ, जिसमें देशभर से आए बुनकरों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

“हाट ऑन व्हील्स”: बुनाई कला को सीधे जनता तक पहुँचाने की पहल

हाट ऑन व्हील्स” एक मोबाइल बाजार है जो एक विशेष वाहन के माध्यम से दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न बाजारों, आवासीय क्षेत्रों, कला केंद्रों और सांस्कृतिक स्थलों तक पहुंचेगा। इसका उद्देश्य है:

  • बुनकरों और उपभोक्ताओं के बीच की दूरी को कम करना
  • स्थानीय उत्पादों को शहरी उपभोक्ताओं तक पहुंचाना।
  • स्थायी फैशन, वोकल फॉर लोकल, और देशी शिल्पकला के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह पहल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और ठोस कदम है, जिससे ग्रामीण बुनकरों को सीधा बाज़ार मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी।

हैंडलूम एक्सपो: 116 पारंपरिक बुनाई शैलियों का जीवंत प्रदर्शन

My Handloom, My Pride; My Product, My Pride” थीम के साथ आयोजित हैंडलूम एक्सपो में देश के विभिन्न हिस्सों से आई 116 विशिष्ट बुनाई शैलियों का प्रदर्शन किया गया है। यह एक्सपो:

  • 10 अगस्त तक जनपथ स्थित हैंडलूम हाट में जनता के लिए खुला रहेगा।
  • इसमें लाइव बुनाई प्रदर्शन शामिल हैं, जो विद्यार्थियों, शिल्प प्रेमियों और आम दर्शकों के लिए शैक्षिक और रोमांचक अनुभव प्रदान करते हैं।

यह आयोजन भारत की विविध और समृद्ध वस्त्र विरासत को जीवंत रूप से प्रदर्शित करता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस प्रतिवर्ष 7 अगस्त को मनाया जाता है, पहली बार 2015 में घोषित किया गया था।
  • “हाट ऑन व्हील्स” भारत का प्रथम मोबाइल हैंडलूम बाजार है, जिसे वस्त्र मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है।
  • इस वर्ष की थीम — “My Handloom, My Pride; My Product, My Pride” — आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक है।
  • हैंडलूम सेक्टर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों लोगों की आजीविका का आधार है।

परंपरा और नवाचार का मेल

हाट ऑन व्हील्स” पहल के माध्यम से वस्त्र मंत्रालय ने यह दिखा दिया है कि कैसे पारंपरिक कारीगरी को आधुनिक बाजार से जोड़ा जा सकता है। यह पहल भारतीय हैंडलूम उत्पादों को न केवल घरेलू उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में मदद करेगी, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर भी पहचान दिलाने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है।
यह आयोजन दर्शाता है कि भारत की हैंडलूम परंपरा केवल इतिहास नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य दोनों का गौरव है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *