हरियाणा में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान का नया चरण: लिंगानुपात सुधार की ओर मजबूत कदम

हरियाणा सरकार ने राज्य में लड़कियों के जन्म अनुपात को बेहतर करने और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को और अधिक तेज़ किया है। स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त प्रयासों से यह व्यापक अभियान राज्यभर में लागू किया गया है, जिसमें सामाजिक जागरूकता और कठोर प्रशासनिक कार्रवाई दोनों शामिल हैं।
जनजागरण से लेकर सोशल मीडिया तक
अभियान के तहत पूरे राज्य में सार्वजनिक पार्कों में जागरूकता रैलियां और मार्च आयोजित किए जा रहे हैं। इन रैलियों में प्रत्येक जिले का लिंगानुपात प्रमुखता से दर्शाया जा रहा है, ताकि लोगों में बेटियों के महत्व को लेकर संवेदनशीलता और सामाजिक प्रतिबद्धता जागृत हो।
साथ ही, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सभी जिलाधिकारियों के सोशल मीडिया हैंडल्स पर विशेष डिजिटल अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे व्यापक जनसंपर्क और युवा वर्ग में संदेश की पहुँच सुनिश्चित हो सके।
सरकारी सख्ती और कानूनी कार्रवाई
राज्य टास्क फोर्स की साप्ताहिक बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुदीर राजपाल ने कहा कि गर्भपात के अवैध मामलों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में हिसार के एक अस्पताल का मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी लाइसेंस रद्द किया गया है।
- गर्भ परीक्षण और अवैध IVF गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाने का निर्देश
- जिन जिलों में लिंगानुपात खराब है, वहां छापे और कार्रवाई तेज करने का आदेश
- सीएचसी और सरकारी अस्पतालों की नियमित निगरानी के आदेश, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- हरियाणा का लिंगानुपात जनवरी 1 से जून 30, 2025 की अवधि में 906 रहा, जो 2024 की समान अवधि में 904 था।
- ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान भारत सरकार द्वारा 2015 में शुरू किया गया था, जिसकी शुरुआत हरियाणा के पानीपत से हुई थी।
- अधिकांश अवैध गर्भपात के मामलों में डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई के तहत लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है।
- अंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से बिना पंजीकरण वाले बच्चों की सूची तैयार की जा रही है।
बाल अधिकार और पंजीकरण पर जोर
बैठक में आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में जन्म पंजीकरण शिविर आयोजित करने और सभी बच्चों का आधिकारिक प्रणाली में समावेश सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर दिया गया। इसके लिए संबंधित कार्यक्रम अधिकारियों को अंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से एक सप्ताह में सूची तैयार करने को कहा गया है।
राज्य सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि लड़कियों की गरिमा और अधिकारों की रक्षा केवल नारों से नहीं, बल्कि सख्त क्रियान्वयन, सामाजिक भागीदारी और व्यापक जनजागरूकता से ही संभव है। यह अभियान हरियाणा को सामाजिक संतुलन और लैंगिक न्याय की दिशा में सशक्त बनाने का माध्यम बनेगा।